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मिलना अग्निशर्मा से! – भाग 9

रानी ने पूछा : ‘वसंतपुर में उन महात्मा का बड़ा मान-सन्मान होगा ?
‘वसंतपुर में ही क्या ? समीप के सैंकड़ों गाँवों में उनके प्रति श्रद्धा और बहुमान है …। हजारों लोग उनके दर्शन करने के लिए तपोवन में आते हैं…। देवी, पाँच दिन के बाद उनका पारणा आयेगा । दिन बराबर यद् रखना । गलती न हो जाए… इसके लिए हमे जाग्रत रहना है । उन महात्मा को पारणा कराने का पुण्य अवसर हमें प्राप्त होगा …।’
अग्निशर्मा की तपश्चर्या से भी ज्यादा उनके गुणों से, राजा गुणसेन अत्यधिक प्रभावित हुए थे । अग्निशर्मा के सोजन्यसभर और ज्ञानपूर्ण व्यवहार से गुणसेन का ह्रदय अग्निशर्मा के प्रति आकर्षण महसूस कर रहा था।
संध्याकालीन भोजन तक राजा-रानी अग्निशर्मा की ही बातें करते रहे। अग्निशर्मा के गुण गाते रहे ।
अग्निशर्मा ।
चाहे वह तापस था… लाखों बरसों की अति उग्र तपश्चर्या उसने की थी, परंतु उसके पास भी दिल था । मानवीय संवेदना से छलकता हुआ दिल था। भिन्न भिन्न भावनाओं से रंगा हुआ ह्रदय था । लाखों वर्ष पूर्व जिस के संत्रास से थक कर …. हार कर – परेशान होकर …. नगर – घर छोड़कर आधी रात को पलायन किया था…और दिनों तक जिसके कारण भय से कांपता रहा था….,उस राजकुमार को राजा के रुप में अपने समक्ष बैठा हुआ देखा… पहचाना… और राजा ने खुद ने जिस ढंग से अपना परिचय दिया…. उससे गुणसेन के प्रति उसके दिल में बड़ी सहानुभूति पैदा हुई थी । हालाँकि पहले भी कभी उसके मन में गुणसेन के प्रति द्वेषभाव तो था ही नहीं । उसने अपने मन का समाधान कर लिया था । ‘मैंने पूर्व जन्म में धर्म नहीं किया है….’ इसलिए इस जन्म में मेरा इतना क्रूर परिहास होता है….। इसलिए अब मैं धर्म का पुरुषार्थ करुं ।’
आज अग्निशर्मा का मन, गुणसेन के विचारों में प्रवुत्त हो गया था ।
‘तरुण अवस्था में , जवानी की उम्र में ठीक है, उसने गल्तियां की…. पर उस उम्र में कौन गल्ती नहीं करता ? जवानी का गरुर भरा अंधकार सौ सौ सूर्य के तीक्ष्ण किरणों से भी छिन्न नही हो, वैसा दुर्भेद्य होता है।
ओह, उस राजा का कितना विनय है । कितनी नम्रता है और कितना विवेक है उसमें ।
उसकी सरलता कितनी है ? उसने अपना परिचय देकर कितना पश्चाताप व्यक्त्त किया ? उसकी आंखों में आंसू भर अये थे…। उसके चेहरे पर विषाद की रेखांए उभर आई थी ।
–उसे मैंने पारणे के लिए सहमति दी…. यह अच्छा ही किया । यदि मैं मना करता या उसका निमंत्रण ठुकरा देता तो…

आगे अगली पोस्ट मे…

मिलना अग्निशर्मा से! – भाग 8
March 16, 2018
मिलना अग्निशर्मा से! – भाग 10
March 16, 2018

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