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जैन का अर्थ

जैन का अर्थ हैं ! जिनआज्ञा यानि परमात्मा कि आज्ञा का पालन करना। लेकिन जब परमात्मा कि आज्ञा क्या है। यह ही नहीं पता तो मानेंगे कैसे? बस जैन कुल में पैदा हुए और जैन बन गए? और अपने आप पर बढ़ा गर्व करते हैं। लेकिन इस बात पर शर्म नहीं हैं कि जिनआज्ञा का पालन नहीं कर रहे हैं।…

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आत्मा जारा तुम सुनो

जन्मो जन्म की इस आत्मा ने अनेको बार स्वर्ग और नरक के दर्शन किए । स्वर्ग में बहुत वैभव मिला । भोग विलास किया, पर वहाँपर भी ईर्ष्या, फिर धरती पर आए। अन्याय से लाखो- करोडो कमाएँ और इस धरती को भी नरक बना दिया और अन्त में स्वयं भी नरक में जा पहुंचे। हाँ ! यही है। यों तो…

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ढाई अक्षर का “दोस्त”

बहुत देखा जीवन में समझदार बन कर, पर ख़ुशी हमेशा पागलपन से ही मिली है। इसे इत्तेफाक समझो या दर्द भरी हकीकत, आँख जब भी नम हुई वजह कोई अपना ही था। हमने अपने नसीब से ज्यादा अपने दोस्तो पर भरोसा रखा है, क्योकि नसीब तो बहुत बार बदला है लेकिन मेरे दोस्त अभी भी वही है। उम्रकैद की तरह…

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अहिंसा

आज कल अहिंसा की बात कई लोग कर रहे है, जो कि एक सराहनीय बात है, किन्तु क्या आप जानते है कि जिस समय हम अहिंसा की बात कर रहे होते है, उस समय भी हमारे मुँह में पवन और लार के संयोग से करोड़ो जीवों की उत्पत्ति और फिर उनका नाश होता रहता है। इसीलिये मौन को सभी धर्मों…

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कथा नवकार की

अंजन चोर – माँगा संसार मिला सिद्धि पद… राजगृही नगरी में अंजन नाम का चतुर चोर था, उसका प्रेम नगर की वेश्या मणिकांचन से था। एक बार उसने अंजन चोर से कहा की मुझे रानी कनकावती के गले में जो ज्योतिप्रभा हार है, वह चाहिए। अंजन बोला कुछ दिन धैर्य रखो। अभी शुक्लपक्ष हैं और मेरी विद्या कृष्णपक्ष की अष्टमी…

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