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धृष्टराज का पूर्वभव

महाभारत कथा में कौरव राजा धृतराष्ट्र के पुत्र थे। इन्हीं धृष्टराज के पूर्वभव की कथा इस प्रकार से हैं- पूर्वभव में धृतराष्ट्र एक न्यायप्रिय सत्यवादी राजा था, परन्तु उसमें एक अवगुण था की उसके अंदर खाने के प्रति बहूत तष्णा थी। उसे तब किसी के हित-अहित का ध्यान नहीं रहता। एक बार उसके रसोईये ने राजा के भोजन में हंस…

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धन एक मीठा जहर

धांय! धांय! जंजीर खिंची, ट्रेन रुकी, और तीनों ने अपना काम शुरू किया। डिब्बे में बैठे सब काँप रहे थे। अपनी कला में कुशल उन तीनों की निगाह से भला कौन बच सकता था? मिनटों में करोड़ों कर माल समेट, ट्रेन से कूद, जंगल के रास्ते इस तरह भागे कि पुलिस कॉम्बिंग भी बेकार रही उन्हें पकड़ने में। यह तो…

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सबंध बचाए

हमारे जीवन में हम जिसे महत्व देते है उनके लिए सब कुछ समर्पित करने के लिए भी सदैव तत्पर होते हैं, लेकिन वो व्यक्ति हमें अगर अहमियत ना दे तो हमारे दिल को ठेस लगनी स्वाभाविक है। उसके कारण रिश्तो में भी कड़वाहट आ जाती हैं, एवं एक दूसरे को करने लगते है और एक दूसरे को कैसे निचा दिखाये…

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कर्मों का फल तो झेलना पड़ेगा

एक दृष्टान्त- भीष्म पितामह रणभूमि में शरशैया पर पड़े थे। हल्का सा भी हिलते तो शरीर में घुसे बाण भारी वेदना के साथ रक्त की पिचकारी सी छोड़ देते। ऐसी दशा में उनसे मिलने सभी आ जा रहे थे। श्री कृष्ण भी दर्शनार्थ आये। उनको देखकर भीष्म जोर से हँसे और कहा- आइये जगन्नाथ। आप तो सर्व ज्ञाता हैं। सब…

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विद्वान होने पर जरुरी नहीं उसे आत्मज्ञान हो

काक भुसुण्डि जी के मन में एक बार यह जानने की इच्छा हुई कि क्या संसार में ऐसा भी कोई दीर्घ जीवी व्यक्ति है, जो विद्वान भी हो पर उसे आत्मज्ञान न हुआ हो इस बात का पता लगाने के लिए महर्षि वशिष्ठ से आज्ञा लेकर निकल पड़े ग्राम ढूँढ़ा, नगर ढूँढ़े, वन और कंदराओंकी खाक छानी तब कहीं जाकर…

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