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युगप्रधान वज्रस्वामी – भाग 18
जब अन्य मुनियों को बालमुनि के अद्भुत पराक्रम का पता चला तो वे और भी अधिक वैराग्य वाले हुए और उन सभी ने अनशन व्रत स्वीकार कर लिया। वज्रस्वामी को चलित करने के लिए किसी मिथ्यादृष्टि देवी ने आकार उपसर्ग करने प्रारंभ किए। किन्तु वज्रस्वामी लेश भी चलित नही हुए। आखिर देवी की अप्रीति को जानकर वज्रस्वामी अन्य स्थान पर…
युगप्रधान वज्रस्वामी – भाग 17
लोगों की इस बात को सुनकर आकाशगामिनी विद्या के बल से वज्रस्वामी माहेश्वरी वन में गए। उस वन में धनगिरी का मित्र तडित नाम का माली था। वज्रस्वामी के आगमन को देखकर वह खुश हो गया और बोला, आपके दर्शन कर आज में कृत-कृत्य हो गया हूं……. मेरे योग्य सेवा कार्य फरमाइए। वज्रस्वामी ने कहा, कल हमारा वार्षिक पर्व है,…
युगप्रधान वज्रस्वामी – भाग 16
इस प्रकार विचार करते हुए वज्रस्वामी ने अपनी लब्धि के बल से चक्रवर्ती के चर्मरत्न की भांति एक लंबा पट्ट बिछाया और उस पर पूरे संघ को उठाकर आकाशगामिनी विद्या के बल से आकाश में उड़ने लगे। इस बीच कोई शय्यातर किसी काम के लिए अन्यत्र गया हुआ था। वापस लौटते समय वज्रस्वामी को संघ के साथ उड़ते देखकर वह…
युगप्रधान वज्रस्वामी – भाग 15
यदि तुम्हारी पुत्री योग्य वर को ही वरना चाहती है तो वह संयम रूपी वर के साथ पाणीग्रहण करें, जो देवों को भी दुर्लभ है और जिसके आगे सभी सद्गुण किंकर सामान है। रूप और लक्ष्मी भी जिसकी दासी है…. सभी क्रियाएं भी जिसके आगे तुच्छ है। जिसमें किसी प्रकार का दूषण नहीं है…… और जिसकी भक्ति से मोक्ष भी…
युगप्रधान वज्रस्वामी – भाग 14
रुक्मिणी ने कहा, मैं अपना प्रयत्न करूंगी। प्रयत्न करने पर भी सफलता नहीं मिली तो मैं भी दीक्षा अंगीकार कर लूंगी। वज्रस्वामी अपने विशाल परिवार के साथ विहार करते हुए पाटलिपुत्र नगर में पधारे। वहा के राजा ने भव्य महोत्सव पूर्वक आचार्य भगवन्त का नगर प्रवेश कराया। अनेक साधुओं के रूप में समानता होने से राजा वज्रस्वामी को पहचान नहीं…