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युगप्रधान वज्रस्वामी – भाग 13
वज्रमुनि की इस बात को सुनकर आचार्य भगवंत एकदम खुश हो गए. . . और उन्होंने शुभदिन शुभमुहूर्त में ज्ञानदान प्रारंभ किया। वज्रमुनि विनय पूर्वक अध्ययन करने लगे. . . इसके परिणाम स्वरुप अल्पकाल में हीं वज्रमुनि दशपूर्वों के ज्ञाता बन गए। तत्पश्चात भद्रगुप्त सूरी जी म. साहब की आनुज्ञा लेकर वज्रमुनि ने दशपुर नगर की और अपना प्रयाण प्रारंभ…
युगप्रधान वज्रस्वामी – भाग 12
महान ज्ञानी आर्य सिंहगिरी अपने परिवार के साथ विहार करते हुए आगे बढ़ रहे थे। इधर अवंती नगर में दशपूर्वधर महर्षि भद्रगुप्त सूरी जी म. बिराजमान थे। आर्य सिंहगिरी ने सोचा, वज्र मुनि के क्षयोपशम अत्यंत ही तीव्र है, यह वज्र पुर्वो का अभ्यास करने में समर्थ है। अवंती में बिराजमान भद्रगुप्त सूरिजी दशपूर्वो के ज्ञाता है। यह वज्र भद्रगुप्त…
युगप्रधान वज्रस्वामी – भाग 11
ज्ञान के साथ ही वज्रमुनि की गंभीरता देखकर सिंहगिरी गुरुदेव अत्यंत ही प्रसन्न हुए। तत्पश्चात अन्य मुनियों को उनकी ज्ञान की गरिमा का ख्याल कराने के लिए अपने विनीत शिष्यों को बुलाकर कहा, में चार दिन के लिए आस-पास के गांवों में विहार करना चाहता हूँ। शिष्यों ने कहा , गुरुदेव! हम भी आपके साथ चलेंगे। गुरुदेव ने कहा, आधा…
युगप्रधान वज्रस्वामी – भाग 10
अन्य मुनियों को कहाँ पता था कि ये वज्रमुनि वय में बाल होते हुए भी श्रुत के पारगामी हैं। . . . . यद्यपि वज्रमुनि अत्यंत ही गंभीर थे, परंतु छोटी सी एक घटना ने गुरुदेव की भ्रांति हटा दी और उन्हें ख्याल आ गया कि वज्रमुनि तो महाज्ञानी है। वह घटना इस प्रकार बनी। एक बार अन्य सभी मुनि…
युगप्रधान वज्रस्वामी – भाग 9
अपकाय व वायुकाय की विराधना के भय से वे साधु उस यक्ष मंडप में रहकर आराधना करने लगे। इस बीच उस सार्थवाह ने आकर गुरुदेव को कहा, हे प्रभो! मुझ पर कृपा कर कर आप अपनें साधु को भिक्षा के लिए हमारे तंबू में भेजें। गुरुदेव ने बाहर नजर की, तब पता चला कि वर्षा बंद हो चूकी है। आचार्य…