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आर्यरक्षित सूरिजी – भाग 5
आर्यरक्षित के मन में मां के प्रति अद्भुत समर्पण और सम्मान था। उनकी हर नजर मां को शोध रही थी………. परंतु उनकी दर्शन-पिपासा किसी भी तरह शांत नहीं हो पा रही थी। बाह्य चक्षुओं से आर्यरक्षित सभी के अभिवादन को स्वीकार कर रहे थे……. परंतु उनके अभ्यंतर नेत्र तो मां के दर्शन के लिए तड़प रहे थे। स्वागत यात्रा राजमार्गों…
आर्यरक्षित सूरिजी – भाग 4
महाराजा उदायन और विप्रवर सोमदेव अग्र पंक्ति में खड़े थे। आर्यरक्षित ने सर्वप्रथम महाराजा और अपने उपकारी पिता सोमदेव के चरणों में प्रणाम किया। वर्षों बाद पिता पुत्र का वह अद्भुत मिलन था। दोनों की आंखों में हर्ष केआंसू बह रहे थे। पुत्र के दिल में समर्पण और सम्मान का भाव था। पुत्र के इस नम्र व्यवहार से सोमदेव का…
आर्यरक्षित सूरिजी – भाग 3
लगभग 12 वर्ष के बाद पिता-पुत्र का मिलन होने वाला था। सोमदेव अपने दिलोदिमाग में अनेक कल्पना चित्र संजो रहा था। आज वह अपने पुत्र के प्रती गर्व ले रहा था। मेरा पुत्र चोदह विद्याओ में पारगामी बनकर आ रहा है,……….वह राजसभा की शोभा में चार चांद लगाएगा……. मेरी कीर्ति का ध्वज दिग-दिगंत तक फैलाएगा।- वह भी सज धज कर…
आर्यरक्षित सूरिजी – भाग 2
प्रातः काल की मधुर बेला में प्रकृति का सौंदर्य सभी के आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। पूर्व दिशा में लालिमा छा चुकी थी। उषा देवी सूर्यनारायण के स्वागत के लिए आतुर थी। कोकिल के सुरीले संगीत से वातावरण मनमोहक बन रहा था। धरती माता सूर्य किरणों की चादर ओढ़ने के लिए उत्सुक थी। दशपुर की जनता में आज आनंद…
आर्यरक्षित सूरिजी – भाग 1
चमकते तारों को तो सभी दिशाएं धारण करती है………….परंतु तेजस्वी सूर्य की जनेता का यश तो ‘पूर्व’ दिशा को ही है। बस! सामान्य पुत्रों को जन्म देने वाली तो अनेक स्त्रियां है, परंतु युगप्रधान जैसे महर्षियों की जनेता तो विरल ही रूद्रसोमा जैसी माताएं होती है। इतिहास के पन्नों पर अंकित इस महान प्रभावक चरित्र को जरा ध्यान से/ गौर…