Archivers

कथा योशोदा कि व्यथा नारी की भाग 19

वर्धमान अभी श्रमणार्य बने। पीछे देखे बिगर सिंह की तरह वन – जंगल की दिशा में चलने लगे। यशोदा का हृदय पुकारने लगा। “औ नाथ! एकबार मात्र अंतिम बार मेरी और दृष्टी डालो।मुझे स्नेह से देखो।आपका पल मात्र का स्नेहसभर दृष्टिपात मेरे लिए जीवन भर का उपहार होगा ! ओ स्वामी! मैंने आपके लिए बहुत बड़ा त्याग किया हैं! आपके…

Read More
कथा योशोदा कि व्यथा नारी की भाग 18

शिबिका आगे बढ़ने लगी ! यशोदा को लगा कि यह स्वामी नहीं जा रहे, परंतु यमराज यशोदा के प्राण को खिंचकर ले जा रहे है। जब तक शिबिक दिखाई दी तब तक यशोदा देखती ही रही। और जैसे ही शिबिका अदृश्य बनी कि यशोदा कि हिम्मत तूटी और वह गिर पड़ी। बेहोश होकर धरती पर ढल पड़ी। प्रियदर्शना तत्काल बाहर…

Read More
कथा योशोदा कि व्यथा नारी की भाग 17

यशोदा: स्वामिन् ! आप मुझे स्वल्प भी याद मत करना ! आपकी साधना में मेरा स्मरण, मेरा विचार आप कदापि मत करना ! आपको तो विश्व के सर्वजीवो के तारणहार बनना है! मेरे जेसी सामान्य स्त्री के लिए आप आपका एक भी समय बिगाड़ना मत! और हा! प्रिया की चिंता भी मत करना ! में कभी भी उसे दुःखी होने…

Read More
कथा योशोदा कि व्यथा नारी की भाग 16

यशोदा खूब ही विहल हो गई! उसकी वेदना तो नारी ही समझ सकती है! यह विश्व तो उसकी कल्पना करने के लिए भी समर्थ नहीं है! “यशोदा!” यशोदा के कर्ण पर यह मधुर टहुँका सुनाई दिया! यशोदा ने राजमार्ग से दृष्टि खींची, तो सामने ही वर्धमानकुमार खड़े थे ! यशोदा को आष्चर्य हुआ ‘अहो हो !आखरी आखरी पलो में भी…

Read More
कथा योशोदा कि व्यथा नारी की भाग 15

महाभिनिष्क्रमण के पथ पर मागसर वद 10 का सुर्योदय हुआ… क्षत्रियकुण्ड में जोरदार तैयारियां चल रही थी! पिछली रात को कोई प्रजाजन सोए नहीं थे ! कल होने वाली वर्धमान की दीक्षा के विषय की बाते और तैयारीयो में कभी सुर्योदय हो गया उसका ख्याल किसी को न आया! आकाश देव-देविओ से उभराने लगा ! विशाल राजमहल में दास-दसियाँ चारो…

Read More

Archivers