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आदमी का रूप एक सा – भाग 6
सुरसुंदरी की पशोपेश दूर हुई । वह मदनसेना के निकट जाकर बैठी । ‘देख, बराबर ध्यान से सुन । अभी यहाँ महाराजा आयेंगे । इस वक्त तो मैं यहाँ पर हूं तो तू निश्चित है । महाराजा को मैं अपने खंड में ले जाऊँगी । वे दूसरा प्रहर पूरा होने के बाद अपने शयनखंड मे चले जायेंगे । इसके बाद…
आदमी का रूप एक सा – भाग 5
‘आप सही है….देवी ! मेरे पिता राजा है….और मेरे पति एक धनाढ्य श्रेष्ठि हैं |’ सुरसुंदरी ने कहा ‘तो फिर तू निराधार हुई कैसे ? यहाँ कैसे आ पहुँची ? यदि तुझे एतराज़ न हो तो मुझे सारी बात बता ।’ सुरसुंदरी ने अपनी सारी जीवन कहानी कह सुनायी मदनसेना से । सुनते सुनते मदनसेना ने कई बार अपनी आंखें…
आदमी का रूप एक सा – भाग 4
‘मैं सोचता हूँ….उसे रानी बनाने के लिये l’ ‘ओह ! इसमें इतना संकोच क्या ? राजाओं के अंतपुर मे तो अनेक रानियां होती है….l’ ‘पर अभी….मैंने उससे पूछा नहीं है l’ ‘वो क्यो मना करने लगेगी ? भला राजा की रानी होना किसे पसंद नहीं ?’ ‘आज जाने दे….मैं कल उसे पूछ लूंगा l’ ‘हां….आज तो वो अंदर से दरवाजा…
आदमी का रूप एक सा – भाग 3
बेवजह राजा को अंतपुर में आया देख पहले तो मदनसेना को अजूबा लगा पर दूसरे ही क्षण राजा का इरादा भांप गई l उसने राजा का स्वागत किया l उसे सत्कार दिया और अपने शयनखंड मे राजा को ले आयी l राजा की अस्वस्थता रानी से छिपी नहीं थी | ‘अभी इस वक्त कैसे आना हुआ ?’ ‘एेसे ही चला…
आदमी का रूप एक सा – भाग 2
सुरसुन्दरी सावधान हो उठी। मै यहाँ वापस फस गई हूँ। उसे अंदाज लग गया परिचारिका भोजन का थाल लेकर आयी। सुरसुन्दरी क्षुषातुर तो थी ही ।उसने खामोश रहते हुए भोजन कर लिया। तू बहूत थकी थकी लग रही है एक दो प्रहर आराम कर ले राजा ने परिचारिका की ओर देख कर कहा इसको तू अंत पुर में ले जा…