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समुन्दर की गोद में – भाग 7
सूरज डूबने की तैयारी में था | समुन्द्र में तूफान उठने के पहले की ख़ामोशी छायी थी | क्षितिज धुंधलके में घिर गयी थी | धनंजय का तो कलेजा मानों हाथ में आ गया था | ‘सुंदरी….ला….तेरा हाथ | मेरे हाथो में दे दे | कितना खुबसूरत समां है ? इस ढलते सूरज की सोगंध लेकर अपन एक दुसरे के…
समुन्दर की गोद में – भाग 6
‘इतनी जल्दबाजी मत करो । अपन साझ की बेला में जहाज के डेक पर चले गे… वह बैठेंगे…. ढलते सूरज के साये में आए उछलते सागर को छूते हुए निर्णय करेंगे…. पर हा, वहा पर उस समय दो के अलावा और कोई नही चाहिए ।’ ‘वाह…वाह….वाह ! समय और जगह कितनी बढ़िया पसंद की ? ओर तो ओर ,तू तो…
समुन्दर की गोद में – भाग 5
अंजान आदमी पर औरत को एकदम भरोसा नहीं करना चाहिए , पर मै कर बैठी । मै इसके मीठे वचनों में फस गयी । क्या दुनिया के सभी लोग ऐसे बेवचनी औऱ बेवफा होते हैं ? अब मै किसी भी आदमी का भरोसा नही करुँगी कभी । जान की बाजी लगाकर भी मैं अपने शील का रक्षण करुँगी । यह…
समुन्दर की गोद में – भाग 4
धनंजय ने एकदम सुरसुन्दरी का हाथ पकड लिया | सुरसुन्दरी ने झटका देकर अपना हाथ छुडा लिया | और दूर हट गयी | उसका मन गुस्से से बोखला उठा था , पर वो सामना करने के बजाय समझदारी से काम लेना चाहती थी । दिल में लावा उफन रहा था पर उसने आवाज में नरमी लाकर कहा : ‘क्या तुम…
समुन्दर की गोद में – भाग 3
धनंजय के इन शब्दों ने सुरसुन्दरी को चोका दिया वह सावध हो उठी | उसकी आँखो में से कोमलता गायब हो गई | फिर भी उसने संयत शब्दों में कहा : ‘तुमने मुझे वचन दे रखा हें , क्या भूल गये उसे ?’ ‘नहीं….ऐसे वचन को निभाने ने की ताकत मुझ में नहीं है | मै तुझे मेरी प्रिया बना…