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समुन्दर की गोद में – भाग 2
‘आप केसी बात कर रहे है ? सुरसुन्दरी ने धनंजय से.. क्या हो गया है आज आपको ? आदमी की जिंदगी में गलती तो होती ही रहती है….। कौन भूल नही करता ?पर इससे क्या गलती करने वाले अपनो को छोड़ दिये जाय ? यदि इस तरह छोड़े तब तो फिर कोई संबंध टिक ही नही सकेगा ? क्या कल…
समुन्दर की गोद में – भाग 1
सावन भादों के बादलों के उत्संग में इन्द्रधनुष के जैसे रंग उभरते है वैसे ही रंगों में श्रेष्ठी धनंजय डूबने लगा ।धनंजय जवान था, छबीला नवजवान था । सुरसुन्दरी की देह में से उसे खुशबू , भीगे फूलो की गंध आ रही थी। सुरसन्दरी के प्यार को पाने के लिये उसका दिल बेताब हो उठा था पर वो अपनी अधीरता…