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आम राजा का पूर्वजन्म
गुरुदेव! पिछले जन्म में मैंने शिवधर्म का पालन किया होगा , उसके सिवाय इस शैवधर्म का इतना दृढ पक्षपात मुझमे कहाँ से जन्मे ? इस तरह राजा ने आचार्य श्री बप्पभट्टिसुरिश्वरजी महाराज के समक्ष उपरोक्त निवेदन किया । सूरी भगवन्त वर्षो से राजा को मिथ्यात्व से वासित छोड़ देने के लिये समझा रहे थे परंतु उसके लिए राजा बिलकुल तैयार…
राजा श्रेणिक तथा कोणिक का पूर्व जन्म
दुसरो का उपहास तथा उपेक्षा करने की वृति वैर का कैसा दावानल सुलगा देती है यह हमें यहाँ देखने को मिलता है। महाराजा श्रेणिक तथा उनके पुत्र कोणिक के पिछले जन्म की यह कथा है। भरतक्षेत्र का वसंतपुरनगर। जितशत्रु राजा वहाँ राज्य करता था। अमरसुन्दरी नामकी उनकी पटरानी सचमुच देवकन्या जैसी सुंदरता धरती थी। उसके कुंवर का नाम सुमंगल। इसी…
श्री ठंठण मुनिराज का पूर्वजन्म
राजरमनिओ को त्यागकर ढंढणकुमार ने दीक्षा ली । बाइसवें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ प्रभु के चरणों में जीवन को तथा प्रभुजी की आज्ञा में मन को लयलिन बनाया कृष्ण वासुदेव के इस सुपुत्र ने भर जवानी में तथा एक ही देशना सुनकर जब महाभिनिष्क्रमण किया तब कृष्ण ने भव्य महोत्सव मनाया । दीक्षा स्वीकारी । उसके बाद ढंढणमुनि को प्रबल लाभांतरायकर्म…
प्रियंकर चक्रवर्ती के पूर्वजन्म
प्रियंकर नामक एक चक्रवर्ती हुए । उसे खुद के हज़ारों मंत्रीओ में से एक मंत्री के साथ अति प्रेम था । मंत्री को भी खुद के राजा के प्रति बहुत प्रेम था । उनका प्रेम देखकर लोगो को ही नही उन दोनों को भी कभी बहुत आश्चर्य होता था । एक बार किसी तीर्थंकर परमात्मा का वहाँ आगमन हुआ ।…
दुर्गतानारी का पूर्वजन्म
सूअर जैसा मुँह तथा पूरा शरीर काला-काला श्याम । इतना कम हो इस तरह उसके सिर के ऊपर घड़े जैसी बड़ी गांठ थी। जैसे मांस का बड़ा लोचा ही देख लो। उस स्त्री को जो भी देखता है वह उसे क्षणभर के लिये राक्षसी ही मन लेता है। इसके बाद जब पता चलता हे कि यह तो कोई मानवीय नारी…