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औचित्य माता पिता का – भाग 4
माता-पिता का उपकार अगणित है: सभा: माता-पिता का इतना उपकार? हां, अगणित उपकार है, जिसकी गणना नहीं हो सकती। भूतकाल में माता-पिता का अपनी संतानों पर जितना उपकार नहीं था, उसकी तुलना में वर्तमान काल में माता-पिता का आप लोगों पर अधिक उपकार मानना पड़ेगा। जिसे आप उत्तम खानदान, संस्कारी, अमीर घर के कहते हो, ऐसे घर में आज के…
औचित्य माता पिता का – भाग 3
सेवा ऐसे भी होती है: मुझे एक परिवार की बात करनी है। उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर थी। तीन भाइयों को कमाने के लिए शहर में आना पड़ा। तीनों भाइयों ने तय किया कि माता-पिता गांव के रहने वाले हैं और उन्हें शहर का जीवन अनुकूल नहीं आता। उन्हें दबाव डालकर यहां नहीं लाना चाहिए। उनकी खुशी के लिए बारी-बारी से…
औचित्य माता पिता का – भाग 2
माता-पिता आप के साथ या आप माता-पिता के साथ?… जिनके घर में माता-पिता का अखंड छत्र है, उसके सौभाग्य की अवधि नहीं है। पहले पूछ लूं ‘आप अपने माता-पिता के साथ है, कि माता-पिता आपके साथ हैं? सभा: (एक साधु महाराज) दोनों में क्या अंतर है? यह हमारा साधु पूछता है? बहुत बड़ा अंतर है। इतने वर्षों के बाद भी…
औचित्य माता पिता का – भाग 1
इनमें से सबसे पहले माता-पिता के साथ व्यवहार की बात करनी है। ग्रंथकार ने सर्वप्रथम माता-पिता के साथ व्यवहार की बात की है और इसके बाद माता संबंधी कर्तव्यों की बात की है। इसके बावजूद दोनों से संबंधित कर्तव्यो में लगभग समानता होने से हम यहा दोनों संबंधों की बात साथ-साथ करेंगे। बालक का जन्म से ही माता-पिता के साथ…
लक्ष्य है, संसार विसर्जन
घर में कैसे रहना? घर के लोगों को कैसे स्नेह-सहानुभूति दे? उनका विश्वास कैसे जीते? स्नेह देंगे तो स्नेह मिलेगा, प्रेम करोगे तो प्रेम मिलेगा- यह कहने के लिए यह बाते नहीं की जा रही है। क्योंकि ऐसी बातें करना, यह एक प्रकार से संसार का पोषण करने का ही काम है। मुझे तुम्हारे संसार का पोषण नहीं करना है।…