दिन की कहानी

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दिन की कहानी 3, मार्च 2016

माँ की इच्छा महीने बीत जाते हैं साल गुजर जाता है, वृद्धाश्रम की सीढ़ियों पर मैं तेरी राह देखती हूँ। आँचल भीग जाता है मन खाली-खाली रहता है, तू कभी नहीं आता तेरा मनीआर्डर आता है। इस बार पैसे न भेज तू खुद आ जा, बेटा मुझे अपने साथ अपने घर लेकर जा। तेरे पापा थे जब तक समय ठीक…

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दिन की कहानी 3, मार्च 2016

बेटी बेटी को चांद जैसा मत बनाओ कि हर कोई घूर-घूर कर देखे किंतु , बेटी को सूरज जैसा बनाओ ताकि घूरने से पहले सब की नजर झुक जाये। हम लोग बेटियों के लिये हर तरह अधिक चिंता किया करते हैं, लेकिन, आज के इस युग में एक बेटी दस बेटों के तुल्य है। “जो मम्मी, पापा को स्वर्ग ले…

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दिन की कहानी 3, मार्च 2016

हे आत्मन, तूँ ही परमात्मन जैन धर्म जाने धर्म – जो प्राणियों को संसार के दुःख से उठाकर उत्तम सुख (मोक्ष) की ओर ले जाए, उसे “धर्म” कहते हैं। और “मोक्ष” नाम है इस संसार सागर से पार हो जाने का अथवा जन्म-मरण से रहित हो जाने का, सभी कार्यों से निवृत होकर ‘कृत्कृत्यता’ पा लेने का। जैन धर्म –…

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दिन की कहानी 2, मार्च 2016

कर्मों से सावधान इस लोक में जीवरहित शरीर को शव, मृतक या मुर्दा कहते है… वैसे ही जैन शास्त्रों में “सम्यग्दर्शन -रहित” त्रसकाय को ‘चलता फिरता मृतक’ ही माना गया है। मृतक जिसे अग्नि से जलाया जाता है, या पृथ्वी में गाढ़़ दिया जाता है, लेकिन सम्यग्दर्शन रहित चलता हुआ “मुर्दा” तो खुद ही चारों कषाय के बोझ़ के तले…

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दिन की कहानी 2, मार्च 2016

नवकार कब और कहा गिणना ज़रूरी है सुबह उठते वक़्त 8 बार अष्ट कर्मों को जीतने के लिए । भोजन के समय 1 बार अमृत समान भोजन प्राप्त होने के लिए । बाहर जाते समय 3 बार समृद्धि सफलता और सिद्धि के लिए । मन्दिर में 12 बार अरिहंत प्रभु के गुणों को याद करने के लिए । छींक आए…

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