दिन की कहानी
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मैं पाप बेचती हूँ
एक बार घूमते-घूमते कालिदास बाजार गये, वहाँ एक महिला बैठी मिली उसके पास एक मटका था और कुछ प्यालियाँ पड़ी थी। कालिदास जी ने उस महिला से पूछा:- क्या बेच रही हो? महिला ने जवाब दिया: महाराज! मैं पाप बेचती हूँ। कालिदास ने आश्चर्यचकित होकर पूछा: पाप और मटके में? महिला बोली: हाँ महाराज मटके में पाप है। कालिदास: कौनसा…
हम अंधे हैं
एक पुरानी तिब्बती कथा दो उल्लू एक वृक्ष पर आ कर बैठे। एक ने सांप अपने मुंह में पकड़ रूखा था। भोजन था उनका, सुबह के नाश्ते की तैयारी थी। दूसरा एक चूहा पकड़ लाया था। दोनों जैसे ही बैठे वृक्ष पर पास-पास आकर, एक के मुंह में सांप, एक के मुंह में चूहा। सांप ने चूहे को देखा तो…
व्यस्त रहता है स्वस्थ
एक बादशाह था। वह बडा ही दयालु और परोपकारी था। सभी का आदर करना और विनम्रतापूर्ण व्यवहार करना उसके स्वभाव का स्थायी अंग था। उसकी अपने राज्य के एक साधु के प्रति बडी श्रद्धा-भक्ति थी। वह साधु अपने शिष्यों के साथ राजधानी से दूर किसी दूसरे नगर में बिराजमान था। वहां कोई अच्छा इलाज करने वाला नहीं था। एक दिन…
मैं हीरा हूँ, कांच का टुकड़ा नहीं!
एक राजमहल में कामवाली और उसका बेटा काम करते थे। एक दिन राजमहल में कामवाली के बेटे को हीरा मिलता है, वो माँ को बताता है। कामवाली होशियारी से वो हीरा बाहर फेखकर कहती है ये कांच है हीरा नहीं, कामवाली घर जाते वक्त चुपके से वो हीरा उठाके ले जाती है। वह सुनार के पास जाती है। सुनार समझ…
समस्याएं ख़त्म नहीं होती
किसी शहर में, एक आदमी प्राइवेट कंपनी में जॉब करता था, वो अपनी ज़िन्दगी से खुश नहीं था, हर समय वो किसी न किसी समस्या से परेशान रहता था। एक बार शहर से कुछ दूरी पर एक महात्मा का काफिला रुका, शहर में चारोंओर उन्ही की चर्चा थी। बहुत से लोग अपनी समस्याएं लेकर उनके पास पहुँचने लगे, उस आदमी…