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ब्रम्हचर्य सम्राट स्थूलभद्र स्वामी – भाग 8

मंत्रीश्वर का मस्तक देह से अलग होकर नीचे गिर पड़ा। चारो और खून खून हो गया। एक अंगरक्षक पुत्र के द्वारा अपने ही पिता मंत्री की हत्या के दृश्य को देखकर राजा के आश्चर्य का पार न रहा। राजा ने पूछ ही लिया, ‘ श्रीयक! तूने यह क्या कर डाला’? श्रीयक ने कहा, राजन! जो मेरे स्वामी का द्रोही हो…

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ब्रम्हचर्य सम्राट स्थूलभद्र स्वामी – भाग 7

‘ पिताजी! आप मुझे आज्ञा दिजिए। आपकी आज्ञा मुझे शिरोधार्य है। अपने कुल क्षय को बचाने के लिए में अपने जीवन का बलिदान देने के लिए भी तैयार हूँ। पिताजी! फरमाइए! क्या आज्ञा है?’ ‘ बेटा! अपने कुलक्षय को बचाने के लिए मैंने जो योजना तैयार की है; उसमे तूं अपना सहयोग देगा न?’ पिताजी! आप यह कैसी बात कर…

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ब्रम्हचर्य सम्राट स्थूलभद्र स्वामी – भाग 6

बालको के वचन की सत्य प्रतीत करने के लिए राजा ने किसी गुप्तचर को मंत्रीश्वर के घर भेजा। गुप्तचर ने आकर राजा को इतने समाचार दिए की मंत्रीश्वर के घर पर शस्त्रों का निर्माण चालू है। बस, शस्त्र निर्माण कि बात की गहराई में उतरे बिना राजा ने मनोमन निश्चय के लिया, ‘हाँ! मंत्रीश्वर मुझे खत्म करने के लिए ही…

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ब्रम्हचर्य सम्राट स्थूलभद्र स्वामी – भाग 5

इर्ष्यालु व्यक्ति कभी किसी के गुण नही देख सकता है। उसे तो सर्वत्र दोष ही दिखाई देते है। जिस व्यक्ति के प्रति ईर्ष्या की भावना होती है; उस व्यक्ति में रहे गुणों को देखने के लिए ईर्ष्यालु व्यक्ति अंध ही होता है। गंभीर भूल धीरे धीरे समय बीतने लगा ! श्रीयक की शारीरिक मानसिक योग्यता , परिपक्वता को जानकर मंत्रीश्वर…

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ब्रम्हचर्य सम्राट स्थूलभद्र स्वामी – भाग 4

नगरजनों में अपना प्रभाव- चमत्कार दिखलाने के लिए वररुचि ने एक नई योजना बनाई । उसने गंगानदी के जल प्रवाह के नीचे एक यंत्र स्थापित किया। वह प्रतिदिन प्रातः गंगा नदी में खड़ा रहकर गंगा नदी की स्तुति करने लगा । नदी के भीतर रहे यंत्र में वह 108 सुवर्ण मुद्राओं की पोटली रख लेता। स्तुति के बाद वह अपने…

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