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ब्रम्हचर्य सम्राट स्थूलभद्र स्वामी – भाग 18

कामातुर बने हुए वह मुनि कोशा के सामने भोग की प्रार्थना करने लगे। मुनि के मन व तन को चालित देखकर पुनः उन्हें स्थिर करने के उद्देश्य से कोशा वेश्या ने कहा, ‘हम तो धन के अधीन है; अतः यदि मेरा संग चाहते होतो मुझे धन प्रदान करे। मुनि ने कहा, यदि नदी की रेती में से तेल निकलता होतो…

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ब्रम्हचर्य सम्राट स्थूलभद्र स्वामी – भाग 17

सिंह गुफा वासी मुनि की इस प्रार्थना को सुनकर गुरुदेव समझ गए की यह स्थूलभद्र के साथ ईर्ष्या रखकर यह बात कर रहा है। गुरुदेव ने अपने ज्ञान का उपयोग लगाकर निर्णय किया कि कोशा वेश्या के वहाँ अन्य किसी भी मुनि का चातुर्मास उनकी आत्मा के लिए हितकर नही है, इस बात को जानकर गुरुदेव ने उस मुनि को…

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ब्रम्हचर्य सम्राट स्थूलभद्र स्वामी – भाग 16

स्थूलभद्र महामुनि के ब्रह्मचर्य की कैसी यह अपूर्व साधना। काम के घर में रहकर भी उन्होंने काम का नाश कर दिया। एक कोशा वेश्या को भी उन्होंने उच्चकोटि की श्राविका बना दी। वर्षाकाल व्यतीत हुआ……. और संभूति विजय आचार्य भगवंत के सभी शिष्य चातुर्मास पूर्ण कर अपने गुरुदेव के चरणों में उपस्थित होने लगे। सर्वप्रथम सिंह गुफा के पास खड़े…

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ब्रम्हचर्य सम्राट स्थूलभद्र स्वामी – भाग 15

षडरस का आहार भी काम को उत्तेजित करने वाला है। उसके बाद वह कोशा वेश्या सुंदर वस्त्र एवं आभूषणों से अलंकृत होकर स्थूलभद्र मुनिवर के समीप आई। और अपने हाव भाव से स्थूलभद्र मुनिवर को अपने वश में करने लगी । परन्तु यह क्या? फूल की भांति कोमल ह्रदयवाले ये स्थूलभद्र मुनि आज उसे वज्र की भांति कठोर प्रतीत होने…

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ब्रम्हचर्य सम्राट स्थूलभद्र स्वामी – भाग 14

ईर्ष्या की आग गुरुदेव के चरणों में बैठकर जिन वचन का अमृत पान करने वाले स्थूलभद्र मुनि पौद्गालिक पदार्थों में जलकमलवत् अनासक्त योगी बन चुके थे । गुरुदेव के शुभ – आशिर्वाद प्राप्त कर स्थूलभद्र महामुनि चातुर्मास के लिए कोशावेश्या के भवन की और क्रमशः आगे बढ़ने लगे । उनकी चाल में ईर्यासमिति के दर्शन होते थे . . .…

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