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चोर ने मचाया शोर– भाग 3
पुरोहित कहा जाता है, क्या करता है ?’ पुरोहित को नगर के बाहर देवकुलिका में जाकर जुआ खेलने की आदत थी। चोर भी पहुँच गया देवकुलिका में ! दूसरे जुआरियो के साथ खुद भी बेठ गया खेलने के लिए ! पुरोहित भी आ पहुँचा था खेलने के लिए। चोर मौका देख कर खेलने लग गया, पुरोहित के साथ । पहले…
चोर ने मचाया शोर– भाग 2
‘कुमार उस चोर को मालूम हो गया था कि रत्नसार ने मुजे पकड़ने की तैयारी की है …. इसलिए चोर ने रत्नसार को हई लूटने की योजना बना डाली । वह रत्नसार की हवेली में पहुंचा व्यापारी का भेष बनाकर। रत्नसार से उसने कहा : ‘मै परदेशी व्यापारी हूँ…. रत्नों की खरीदी करने आया हूं….। रत्नसार ने उसे कीमती रत्न…
चोर ने मचाया शोर– भाग 1
बरस पर बरस गुजरते है । अमरकुमार के आगमन का कोई समाचार नही मिल रहा है। न ही और कोई साधन है जिससे अमरकुमार का अता-पता मिल सके। विमलयश के दिल मे कभी नैराश्य छा जाता है । कल्पनाओ का दर्पण घुँघलाने लगता है…. पर अवधिज्ञानी महर्षि के वचन याद करके वह मन को धीरज देता है ….. ‘आएंगे’ …..…