विचारों को अपने जीवन में परिवर्तन करना

Archivers

तिष्यक देव का पूर्वभव

पूर्व भव में इस देव का नाम तिष्यक था । जिससे भगवतीसूत्र में तिष्यकदेव के नाम से वह पहचाना गया है। पहले देवलोक के इंद्र का नाम है सौधर्मेन्द्र । उसका यह समानिक देव है । समानिक देव यानि इंद्र जैसा ही वैभव ,शक्ति तथा आयुष्य धारण करनेवाला देव। सामान्य इंसान कल्पना न कर सके ऐसी विशाल सम्रद्धि का मालिक…

Read More
कुरूदत्तपुत्र देव का पूर्वजन्म

महावीरप्रभू के समय में राजगृही नगरी में एक कुरुदत्त नामका धनवान प्रसिद्ध था । पिता कि प्रसिद्धि इतनी विशाल थी कि पुत्र खुद के नाम से नहीं , कुरुदत्तपुत्र के नाम से ही प्रसिद्ध हुआ । जवानी की बारदान पर चढ़ा हुआ यह कुरुदत्तपुत्र प्रभु महावीर का उपदेश सुनकर संसार को लात मारकर निकल पड़ा । प्रभु के पास दीक्षा…

Read More
अब्धिकुमारदेव का पूर्वजन्म

भवनपति देवों के एक समूह का नाम ‘अब्धिकुमारदेव ‘ है । इस देवनिकाय में लाखों देवता होते है, उन सबको अब्धिकुमार देव के रूप में भी पहचान सकते है । जैसे भारत में भले ही १२० करोड़ नागरिक रहते हों , उन सबके स्वतंत्र नाम भी है , तो भी उन सबको भारतीय कह सकते हैं। ऐसे एक अब्धिकुमार की…

Read More
चामुंडा देवी का पूर्वजन्म

सौराष्ट का चोटीला यानि बडा गाँव तथा छोटा शहर। वि.सं. १२५२ में पूर्वाचार्य देवसुरी महाराज वहाँ चातुर्मास में रहे थे । राजशाही का यह समय । शहर के मंत्री का नाम नाहड और उनके छोटे भाई का नाम सालिग। दोनों भाईओ को सूरिदेव ने प्रतिबोधित किया। कुटुंब – परिवार के पाँच सौ सभ्यों के साथ उन दोनों ने जैन धर्म…

Read More
कुर्कुटेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ के स्थापक ईश्वरराजा का पूर्वजन्म:

दीक्षा लेने के बाद पार्श्वप्रभु भारत की धरा को पावन कर रहे थे। अब तक प्रभु को केवलज्ञान की प्राप्ति नहीं हुयी थी। एक बार परमात्मा राजपुरी नगरी की सीमा में पधारे। नगर का राजा ईश्वर घुडसवारी करता हुआ वहाँ से निकला। राजा के साथ राजा का परिवार भी था । राजा के साथ चलते हुये बाणार्जुन नामक एक भाट…

Read More

Archivers