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ब्रम्हचर्य सम्राट स्थूलभद्र स्वामी – भाग 23
एक समय की बात है। यक्षा आदि सभी सातो साध्वी अपने भाई मुनि स्थूलभद्र को वंदन करने के लिए गुरुदेव के पास आई और पूछा, हमारे भाई मुनि कहा है? आचार्य भगवंत ने कहा तुम आगे जाओ , वे अशोकवृक्ष के नीचे स्वाध्याय कर रहे है। वे सातो साध्वी अशोकवृक्ष की और आगे बढ़ी परन्तु वहा पर उन्होंने स्थूलभद्र के…
ब्रम्हचर्य सम्राट स्थूलभद्र स्वामी – भाग 22
पश्चात्ताप संभूतिविजय आचार्य भगवंत के वैराग्यपूर्ण धर्मोपदेश को सुनने से श्रीयक के मन में भी इस संसार के प्रति वैराग्य भाव उत्पन्न हुआ और वह दीक्षा लेने के लिए तैयार हो गया । चरित्र धर्म अंगीकार करने की श्रीयक की इच्छा जानकर उसकी 7 बहिनें भी दीक्षा लेने के लिए तैयार हो गई . . . और एक शुभ दिन…
ब्रम्हचर्य सम्राट स्थूलभद्र स्वामी – भाग 21
ज्ञान प्राप्ति भवितव्यता के योग से जगत में परिस्थितियाँ बदलती रहती है। उस समय 12 वर्ष का भयंकर अकाल पड़ा। इस अकाल के कारण साधुओं को भिक्षा की प्राप्ति दुर्लभ बनती गई . . . परिणामस्वरूप भूख से पीड़ित अनेक मुनि स्वाध्याय करने में असमर्थ बनते गए । फलस्वरूप श्रुत व सिद्धान्त का विस्मरण होने लगा। पाटलीपुर नगर में समस्त…
ब्रम्हचर्य सम्राट स्थूलभद्र स्वामी – भाग 20
स्थूलभद्र की पुनः-पुनः प्रशंसा को सहन नहीं कर पाने के कारण उस रथिक ने अपनी कलाओं के प्रदर्शन का निश्चय किया। वह रथिक उस कोशा को गृह- उद्यान में ले गया। और वहां आपनी शय्या ( प्लयंक) पर बैठे- बैठे ही कोशा के मनोरंजन के लिए उसने अपनी कलाओं का प्रदर्शन चालू कर दिया। उसने एक बाण छोड़कर आम्र के…
ब्रम्हचर्य सम्राट स्थूलभद्र स्वामी – भाग 19
उसी समय अवसर देखकर कोशा ने कहा , ओ मूढ़ मुनिवर!तुम इस रत्नकम्बल की कीमत समझते हो, किन्तु गुरुदेव द्वारा प्रदत्त ज्ञान दर्शन और चारित्ररूपी रत्नों को अशुचि से भरपूर मेरी देह रूपी गट्टर में फेंकते हुए तुम्हे शर्म नही आ रही है? तुम मुझे मुर्ख कहते हो परन्तु क्या तुम स्वयं महामूर्ख नही हो? वेश्या के कटाक्ष युक्त वचन…