विचारों को अपने जीवन में परिवर्तन करना
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औचित्य माता पिता का – भाग 19
अपनी त्रुटियां खोजो। सभा: माता पिता हमे मूर्ख कहे तो? तो प्रेम से सुन लें ।सामने जवाब न दें । सोचें कि इतने वर्ष होने के बाद भी माता पिता को अभि तक मुझे मूर्ख कहना पड़े तो जरूर मुझमे कोई त्रुटि होगी । मुझे वह त्रुटि खोजनी चाहिए तथा खोजकर सुधारनी चाहिए ओर दूसरी बात की माता पिता मूर्ख…
औचित्य माता पिता का – भाग 18
रानी व दासी: श्री कृष्ण महाराजा का संयम प्रेम आत्मा के प्रत्येक अंश में समाहित था। अविरति के प्रगाढ़ उदय के कारण वह स्वयं स्वीकार नहीं कर सके थे। फिर भी अपनी पत्नियों व संतानो आदि को संयम मार्ग पर ले जाने का उन्होंने भागीरथ पुरुषार्थ किया था। उनकी सभी पुत्रियों को उन्होंने परमात्मा श्री नेमिनाथ प्रभु के पास प्रव्रजीत…
औचित्य माता पिता का – भाग 17
विनयपूर्ण व्यवहार होना चाहिए: हमें तथा आपको मोक्ष की साधना के लिए विनय की साधना करना अत्यावश्यक है। उचित आचरण विनय में ही आता है। आपकी संतानों को सुयोग्य मार्ग में लाना हो, उचित आचरण में जोड़ना हो, प्रभु शासक का आराधक बनाना हो, सम्यग्दर्शन की विरासत से समृद्ध बनाना हो, दुर्गति में जाने से बचना हो तो यह विनय…
औचित्य माता पिता का – भाग 16
आप की आज की दशा : सभा : माता पिता की बहुत सेवा करें उनका कहांं माने तो लोग माता-पिता का आदर्श बेटा कह कर चुटकयां लेते हैं। कह दूं? लोग आपको मां बाप का आदर्श बेटा कहे वह अच्छा की जोरू का गुलाम कहे वह अच्छा? आपकी पत्नी को खुश करने के लिए आपने आत्महित को किस हद तक…
औचित्य माता पिता का – भाग 15
बदले की अपेक्षा ना रखो! माता पिता के संपत्ति मिलेगी, इस आशा से उनकी सेवा शुश्रुषा करना पाप है ऐसी आशा हीन आशा है ऐसी आशा से उनका कोई कार्य सेवा शुश्रुषा न करें ऐसी आशा ह्रदय के किसी भी कोने में हो तो उसे दूर कर देना! माता पिता को आश्वासन देना की मुझे आपका कुछ भी नहीं चाहिए…