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अद्भुत जीवप्रेम !

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बापूलाल मोहनलाल पालनपुर जिले के चिमनगढ़ गांव में रहते हैं। जीवों पर अत्यधिक प्रेम है। हर माह कसाई और पशु बेचनेवाली जाति के पास से लगभग सौ जीव खरीद कर अभयदान देते हैं। जीवदया के लिए संघ और संस्थाओं की मदद लेते हैं चिमनगढ़ के संघ की पांजरापोल चलाते हैं। नित्य एकासणा करते हैं। ओझा एक बार देवी मां को बकरे का भोग चढ़ाने की तैयारी में था ।बाबूलाल ने जाकर ओझा को उसे न मारने को कहा। लेकिन वह नहीं माना। उसकी पत्नी मिली तो उससे कहा, “है मेरी धर्म की बहन! तेरे पुत्र – पुत्रियों की शादी में मामेरे में यह मामा पांचसौ रूपये की पहरामणि भेंट करेगा। इस निर्दोष बकरे को किसी भी तरह बचा ले।” दया की भावना होते ही उसकी पत्नी ने ओझा को समझाया। श्रावक ने मन से अठ्ठम की तैयारी की। ओझा बकरे को छोड़ने को तैयार हुआ। सेठ को जीव बचाने का आनंद हुआ। श्री तीर्थंकर देव भव्य जीवों से कहते हैं कि एकेंद्रीय जीवो में भी हमारी जैसी ही आत्मा होती है । इसलिए किसी भी जीव की हिंसा नहीं करनी चाहिए।

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