जगचिंतामणी – गौतम स्वामी
ऊवसग्ग – भद्रबाहु स्वामी
संसारदावा – हरिभद्र सूरी
लधु शांति – मानदेव सूरी
सकल तीर्थ – जीव वीजय
स्नातस्या – बालचंद मुनी
सकलार्हत – हेमचंद्र सूरी
संतिकर – मुनिसुंदर सूरी
अजित शान्ति – नंदीषेण सूरी
तिजय पहुत – मानदेव सूरी
नमिऊण – मानतुंग सूरी
भक्तामर – मानतुंग सूरी
कल्याण मंदिर – सिध्द सेन दिवाकर सूरी
बृहत शांति – शिवादेवी माता
नवकार – शश्वत।
नवकार मंत्र गिनने के लाभ:-
नवकार मंत्र का भावपूर्वक एक
अक्षर बोलने पर- सात सागरोपम जितने पापो का नाश होता है।
“नमो अरिहंताणं”
इतना एक पद बोलने पर- 50 सागरोपम जितने पाप नष्ट होते है।
संपूर्ण नवकार मंत्र गिनने से 500 सागरोपम जितने पाप नष्ट होते हैं।
एवं सुबह उठकर आठ
नवकार गिनने से 4000 सागरोपम जितने पाप नष्ट होते हैं।
संपूर्ण नवकार वाली गिनने से 54000
सागरोपम जितने पाप नष्ट होते है।
सागरोपम अर्थात गिनने में कठिनाई हो
इतने अरबों वर्ष। यह नवकार
महामंत्र शक्तिदायक, विध्नविनाशक, प्रभावशाली, चमत्कारी है।
गर्भवती स्त्रियों के लिए इस मंत्र
का जाप करना अति उत्तम है।
जन्म के समय बालक के कान में यह मंत्र सुनाने से उसके जीवन
में समृद्धि प्राप्त होती है।
एवं मृत्यु के समय सुनाने पर सदगति
प्राप्त होती है।
दॄढ विश्वास तथा शुद्ध मन से इस
मंत्र का जाप नित्य करने से विश्व में, परिवार में तथा मन में शांति रहती है,
मन स्वच्छ और निर्मल बनता है।
नमो अरिहँताणँ
नमो सिध्णामँ
नमो आयरियाणँ
नमो उवझायाणँ
नमो लोए सव साहुणँ,
ऐसो पँच नमोकारो,
सव पावपँणासनो,
मँगलाणँच सवेसिँह,
पढमँम होइ मँगलम।
“जय” बोलने से मन को शांति मिलती हैं, “जिनेन्द्र” बोलने से शक्ति मिलती हैं।
“जय जिनेन्द्र” बोलने से भक्ति मिलती हैं।
भक्ति से “महावीर” मिलते हैं,
और महावीर मिलते हैं तो
“पापों से मुक्ति” मिलती है।
इसलिये जब भी मिलो
“जय जिनेन्द्र” बोलो।