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Story Of The Day 27th, February 2016

धर्मपिता

इस संसार में सर्वत्र एक ही आवाज सुनाई देती है ।
सम्पति बढाओ, नए नए फर्नीचर, गाडी, गहने खरीदो, इंडस्ट्रीज लगाओ, ऐश करो, मौज करो और इन सबकी पूर्ती के लिए किसी भी हद तक चले जाओ, अन्याय-अत्याचार फेलाओ और मौझ करो ।

कभी सोचा है ऐसा क्यों हो रहा हैं ? very simple “जैन दर्शन के ज्ञान का आभाव” लेकिन यह जानने से पहले
मैं आपसे साधारण बातें करना चाहता हू, सीधी और सरल भाषा में,

एक बच्चा अपने पिता की अंगुली पकड़कर मेले में घूम रहा हैं, खाने-पीने की, खिलोनो की, कपड़ो की, दुकाने देख रहा हैं, खरीद रहा हैं, फूले-फूल रहा हैं, बहुत खुश हैं और अचानक पिता की अंगुली छुट जाती हैं और वह जोर–जोर से रो रहा हैं ।

क्यों? क्योंकि पिता का साथ छुट गया ! अपने घर जाना हैं अभी वह असुरक्षित हैं ।
बस आज हमारी भी यही हालत हैं । संसार में सब वैभव सुख-सुविधा हैं पर भटक रहें हैं क्योंकि धर्मपिता की अंगुली छुट गई है और वही हमें हमारे सही घर में लेजा सकता हैं । आज मनुष्य को सब कुछ आता है, सिखाये यह नहीं आता कि जीना कैसे हैं ? गुजार-बसर जिना जिंदगी नहीं हैं, जिंदगी एक अनमोल तोहफा हैं, एक वरदान हैं । हाँ इस जीवन-धारा को हम जिधर चाये मोड़ सकते हैं । बस सही दिशा का ज्ञान होना चाइये । असंतोष, कड़वाहट और निराशा के इन गलिमारो को छोड़कर स्फूर्ति, शांति, प्रसन्ता के राजमार्ग पर कैसे आगे बढ़ना हैं । यह- “जैन-दर्शन” और कर्म-सिद्धांत” हैं..

Story Of The Day 26th, February 2016
February 26, 2016
Story Of The Day 27th, February 2016
February 27, 2016

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