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Story Of The Day 25th, February 2016

एक संत थे जिन्हें आत्मज्ञान प्राप्त था व उन्हें इस जीवन व संसार के प्रति बौद्ध अवस्था प्राप्त हो गयी थी । वे( संत) प्रतिदिन समुद्र के सामने बैठकर योगध्यान करते व समाधिस्थ हो जाते । इन क्षणों में सीगल पक्षी उनके आस-पास निर्भीक होकर उड़ते और क्रीड़ा करते । कभी-कभी तो ये पक्षी संत के कंधों पर भी बेफिक्र बैठ जाते ।

एक दिन हमेशा की ही तरह संत समुद्रतट पर साधना हेतु गये । उसी समय वहाँ एक छोटा बालक खेलते-खेलते उनके पास आया और अनुरोध किया- ये पक्षी कितने निर्भीक होकर आपके समीप आते हैं व खेलते हैं । य़े कितने सुंदर व कोमल हैं । क्या आप एक सीगल पक्षी पकड़ सकते हैं व मुझे दे सकते हैं ।

संत बालक के इस प्रेमपूर्ण छोटे से आग्रह को टाल न सके व बच्चे को एक सीगल पक्षी भेंट करने को राज़ी हो गये । किंतु दूसरे दिन जब वे समाधिस्थ हो समुद्र किनारे बैठे तो सीगल पक्षी संत के सिर के काफी ऊपर मंडराते उड़ रहे थे, किंतु कोई भी पक्षी संत के इतने समीप नहीं आया कि वे उन्हें पकड़ सकें ।

इस तरह पक्षी संत के मन में चल रहे विचारों व मंशा को उनके मन तरंगों की ऊर्जा से महसूस कर लिये, इसीलिये अपने प्रति खतरे को भाँप संत के नजदीक नहीं आये । इस तरह हमारी सोच व अंतर्विचारों की तरंगऊर्जा से हमारे आसपास लोग संपर्क में आते हैं व उनसे प्रभावित होते हैं, और उसी के अनुरूप वे हमारे प्रति प्रतिक्रिया व व्यवहार करते हैं । इसलिये य़ह आवश्यक है कि हम अपने परिवेश में अच्छे व सकारात्मक तरंग-ऊर्जा बनाकर रखें ।

Story Of The Day 25th, February 2016
February 25, 2016
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February 25, 2016

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