जीवन जीने की कला के तीन सूत्र
जीवन जीने की कला के तीन सूत्र हैं ।
पहला सूत्र है ।
-प्रामाणिकता-
एक ही तुम्हारा व्यक्तित्व होना चाहिए, दोहरा नहीं ।
-दूसरा सूत्र है-
निजता अपने ढंग से जीओ, अपने रंग से जीओ, अपनी मौज से जीओ, मैं उसके संन्यास कह रहा हूँ ।
-तीसरा सूत्र है-
भूलकर भी कहीं इस ख्याल को मत टिकने देना कि तुम्हारे जीवन में कुछ है जो गलत है । अगर कुछ गलत लग भी रहा हो तो जानना कि इसी के भीतर कहीं सही छिपा हुआ है ।
यह गलत, सही को अपने भीतर छिपाए हुए है । जैसे बीज की सख्त खोल के भीतर कितने फूल छिपे हैं ! करोड़ों फूल छिपे हैं, बीज की सख्त खोल पर मत अटक जाना ।
फूल अभी दिखाई भी नहीं पड़ते । बोओगे जमीन में, पौधा बड़ा होगा, वृक्ष बनेगा, हजारों पक्षी निवास करेंगे, सैकड़ों लोग उसकी छाया में बैठ सकेंगे, तब फूल से भरेगा आकाश ।
-वैज्ञानिक !
क्योंकि एक बीज से फिर करोड़ों बीज होते हैं । फिर एक-एक बीज से करोड़ों-करोड़ों बीज हो जाते हैं । होते-होते कहते हैं कि एक बीज की इतनी क्षमता है कि सारी पृथ्वी को हरा कर दे, सारी पृथ्वी एक बीज के द्वारा हरी-भरी हो सकती है ।
पहली दफा इस पृथ्वी पर एक ही बीज आया होगा और उसी बीज का परिणाम है,
सारी पृथ्वी हरी है ।