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Story Of The Day 18th, February 2016

अनन्त इच्छा

इच्छा हु आगाससमा अणंतया

अर्थात इच्छा आकाश के समान अनंत होती है ।

हम दुःखी क्यों है ?
इसलिए कि हम कुछ चाहते है । अर्थ यह है कि इच्छा स्वयं दुःख है । जब तक इच्छा है, दुःख है ।

इच्छा का जन्म क्यों होता है ?
अपने भीतर अभाव की अनुभूति से ।

इस अनुभूति का कारण ?
आत्मा के वास्तविक स्वरूप का अज्ञान ।

जब तक आत्मा के इस वास्तविक स्वरूप का अज्ञान रहता है, मनुष्य बाहर सुख की खोज में भटकता रहता है । इसके लिए वह विषयों की शरण में जाने का प्रयास करता है ।
जहां सुख नही, केवल सुख का आभास है, अस्थाई या अचिरस्थायी सुख है ।

फिर विषयों से मन तृप्त कहाँ होता है, एक इच्छा के बाद दूसरी और छोटी इच्छा के बाद बड़ी उत्पन्न होती ही रहती है, इसीलिए इच्छापूर्ति का प्रयास विफल रहता है ।
ऊपर देखिये, आकाश कैसा है, इच्छा भी वैसी ही अनन्त है ।

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