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जैनधर्मरागी अजेन

Jainadharmagai-Ajen

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वीरमगांव के पास लगभग 14 किलोमीटर दूरी पर ट्रेन्ट नाम का गांव है। वहां लालूभाई रहते हैं। बीड़ी का भारी व्यसन, जात के राजपूत। एक बार बीड़ी पी रहे थे तब परम पूज्य महायशसागर म. साहब ने उसे बिडीत्याग का उपदेश दिया। यह आत्महित की बात उसे अच्छी लगी और उसने स्वीकार कर ली।फिर कभी कभी म.सा. के दर्शन करने जाता था। वह अजैन था मगर उसकी योग्यता देखकर म.सा. धर्म की प्रेरणा करने लगे। इस तरह पौषध आदि आराधना करने लगा!(यह पढ़कर तुम्हें कम धर्म करने का दु:ख होता है?) छोटे गांव के इस अजैन को एक बार साधु मिले और इतनी सारी आराधना कि। तुम्हें बारह मास अथवा बहुत बार विद्वान, वक्ता, संयमी महात्माएं मिलते हैं।तुमने आराधना कितनी बढ़ाई? क्या तकलीफ है? ४/६ लोगों को एक ही स्कूटर पर बिठाकर स्कूटर का पूरा लाभ लेने वाले तुम, प्राप्त जैन धर्म को सफल करते हो?अर्थात आराधना करने का मौका मिले तो क्या करते हो?

इस लालूभाई को सगे संबंधी राजपूतों की शादी आदि में जाना पड़ता है। सब रात को भोजन करते हैं। इन्हें भी सगे संबंधी आग्रह करते हैं लेकिन लालूभाई साफ मना करते हैं । राजपूत लोग कहते हैं कि यह तो बनिया बन गया है, फिर भी लालूभाई चोविहार के नियम में दृढ़ रहते हैं!!!नवकार पर खूब श्रद्धा है, रोज माला गिनते हैं।

उन्हें गांव के और आसपास के गांव के लोग भगत कहते हैं। किसीको कुछ भी आपत्ति आती है तो इस बापू भगत के पास आता है।एक बार एक आदमी को रात को पानी पीते पीते लोटे में रहे हुए बिच्छू ने काटा।तलवे में डंख मारा। बहुत सूज गया। मुंह खुलता ही नहीं था। उसे लालूभाई के पास लाए। धर्मश्रद्धालु लालूभाई ने नवकार जप कर पानी की बुँदे मुँह में डाली तो मुँह थोड़ा सा खुला। पूरा पानी मंत्रित कर पिलाया, अच्छा हो गया!! इस तरह कई लोगों के अनेक रोग श्रद्धा के बल से नवकार से मिटाए!!

एक बार सामायिक में बैठे थे।४/५ मिनिट बाकि थे। बड़ा लंबा सांप आया, लेकिन सामायिक के टूटने के डर से हिले भी नही ।सांप अदृश्य हो गया!

अजेन स्वसमाज का सामना करके तथा आपत्ति में भी जैन धर्म पालन में दृढ रहता है तो तुम जैनो को तो थोड़े से मुश्किल कंदमूल त्याग आदि नीव के आचार भी क्या नहीं पालने चाहिए?

shaasanaraagee-shrushraavak
शासनरागी सुश्रावक
February 20, 2019
philosophy
तत्व दर्शन
March 28, 2019

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