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पूजा कैसे करें

आज हम मंदिरजी में पूजा करने जाते है, तो हम खुद पर गर्व करते कि हमने भगवान को खुश कर दिया। समझ में नहीं आता पूजा अपने स्वयं के लिए करते हैं या भगवान पर एसान… ।

प्रभु की चन्दन पूजा हमे हमे शीतल करती हैं, धुप पूजा से हमारे भाव शुद्ध होते हैं, दीप पूजा से ज्ञान की ज्योत जलाते हैं। उसी प्रकार फल-पुष्प से चारो गति से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करते हैं।
पर आज के वक़्त यह सब तमाशा बनकर रह गया हैं।
समझने वाली बात तो यह हैं कि पूजा करने पर घमंड करते हैं तो प्रभु पूजा से कोई लाभ नहीं, और फल चाइए। ऐसा लगता हैं कि पूजा न तो भगवान कि और न ही हमारे मन की शांति के लिए हो रही हैं। यह तो बस कुछ लोग देखा-देखि और दिखावा सा चल रहा हैं।

अब तो माता-पिता इनाम के लालच से बच्चो को HUGGIES, PAMPERS पहना कर पूजा करवाते हैं। बच्चो को तो पता ही नहीं वे इस वक़्त कहा हैं और वे क्या कर रहे हैं? अगर पूजा करते-करते अन्दर ही…। तो कितना पाप लगता हैं, ये आप सब जानते हैं। फिर भी कुछ ये सोचते हैं कि बच्चे हैं, उन्हें पाप नहीं लगता चलता हैं। अच्छा तो-

मान लीजिये आप एक सुलखती आग के सामने खड़े हैं और आप अपने बच्चे के साथ हैं। आप आग में हाथ नहीं डालेंगे क्योंकि आप समझदार हैं, आप जानते हैं कि आप जल जायेंगे। वैसे ही अगर आपका बच्चा अगर आग में हाथ डाले तो क्या आग ये सोचेगा कि नहीं ये तो बच्चा हैं, मैं इसे कैसे जला दु, ये तो ना समझ हैं! नहीं आग बिलकुल ये नहीं सोचेगा कि वह बच्चा हैं। आग में हाथ कोई भी डाले हम जलेंगे ही। वैसे ही ऐसे पूजा करवाते हैं तो
माता-पिता के साथ ना-समझ बच्चे को भी पाप लगता हैं।

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