कमी और कठिनाई को सोचो मत, इनको सोचने से ये वज़न बढ़ा लेती है।
इनको दूर करने के लिए योग्य व सफल इंसानों की संगत करो, उनके गुणों की सराहना करो
व सदा गुरु आशीष को महसूस करते हुए जियो।
ये तीन बिंदु अगर आप अपना सकते हैं तो हर तरह की कठिनाई अपना रूप बदल लेगी।
ज़िन्दगी में काँटों भरी राह मिल भी जाए तब भी उन पर हल्के-हलके पैर
रखकर आगे बढ़ते जाओ। अटको मत! काँटों को कोसो मत, उनको कोसने से
हमारा उनसे सम्बन्ध गहरा बन जाएगा।
वे अभी तो है ही, आपका ध्यान पाकर भविष्य में और अधिक आपके साथ बने रहेंगे।
ऐसे कठिन हालातों में अपना ध्यान गुरु-चरणों में, इष्ट-लक्ष्य में, योग्य व सफल पुरुषों के गुणों को सराहने व नई तकनीक सीखने में लगाओ।
नित नूतन उत्साह से भर कर गम के दिनों को भी जीना सीख लो तो यह गम
जाते-जाते आपके जीवन में सरगम बजाता जाएगा।
आत्मज्ञानी लोग कहते हैं कि–
“सब सही है जगत में भले के लिए
गम में क्या दम है जो हम ख़ुशी से जिएँ
बन्धा भूखों मरे, मुक्त दाना चरे, मस्त होकर”
“खुशियाँ चारों तरफ यूँ ही खिलती रहे,
सर्दी गर्मी भले नृत्य कुछ भी करे
हम पनपते रहें, आनन्द बरसा करे, मस्त होकर”।