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वसीयत और नसीहत

एक दौलतमंद इंसान ने अपने बेटे को वसीयत करते हुऐ कहा “बेटा मेरे मरने के बाद मेरे पैरों मे ये फटे हुऐ मोज़े (जुराबें) पहना देना, मेरी यह ख्वाहिश जरूर पूरी करना ! बाप के मरते ही नहलाने के बाद बेटे ने पंडितजी से बाप की ख़ाहिश बताई, पंडितजी ने कहा हमारे धर्म में कुछ भी पहनाने की इज़ाज़त नही है, पर बेटे की ज़िद थी कि बाप की आखरी ख़ाहिश पूरी हो, बहस इतनी बढ़ गई की शहर के पंडितो को जमा किया गया लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला,

इसी माहौल में एक शक़्स आया और आकर बेटे के हाथ मे बाप का लिखा हुवा खत दिया जिस मे बाप की नसीहत लिखी थी
“मेरे प्यारे बेटे”

देख रहे हो ? दौलत, बंगला , गाडी और बड़ी बड़ी फैक्ट्री और फॉर्म हाउस के बाद भी मैं एक फटा हुवा मोजा तक नहीं ले जा सकता,

एक रोज़ तुम्हें भी मौत आएगी, आगाह हो जाओ तुम्हे भी एक कफ़न मे ही जाना पड़ेगा, लेहाज़ा कोशिश करना दौलत का सही इस्तेमाल करना,

नेक राह मैं ख़र्च करना, बेसहाराओं को सहारा बनना क्युकि अर्थी में सिर्फ
तुम्हारे कर्म ही जाएंगे”।

पिता
November 12, 2016
पत्नी बार बार माँ पर इल्जाम लगाए जा रही थी
November 14, 2016

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