विधाता ने जब किसी बेटी को बनाया होगा, मानव निर्माण के लिए
इस धरती पर छोडने आया होगा।
उस दिन विधाता भी सारी रात नहीं सोया होगा,
और बेटी की जुदाई मे फुट-फुट कर रोया होगा।
कइ जन्मो की जुदाई के बाद बेटी का जन्म होता है, इसलिए तो कन्यादान करना
सबसे बड़ा पुण्य होता है।
बेटी पिता व पति दोनों के घर का सम्मान रखती है,
चाहे पत्थर पडे हो, चेहरे पे मुस्कान रखती है।
बेटी की आत्मा से उस दिन भी दुआओं के फुल बरसते है,
जिस दिन राखी के कच्चे धागे भाई की कलाई को तरसते है।
माँ-बाप के दखल से बेटी के कई ख्वाब पुरे नहीं होते,
फिर भी बेटी की नजर मे माँ-बाप कभी बुरे नहीं होते।
दिल मे खुशी, मगर चेहरे पर गम की परछाई होती है,
कठोर दिल बाप भी रो देता है, जब बेटी की विदाई होती है।
बेटी माँ-बाप की खुशी की हमेशा दुआ माँगती है,
वह सुख मे हो या दुख में, हर चौखट पर उनका रास्ता निहारती है।
है ईश्वर-
मैरा आपसे बस इतना ही है कहना-
आप कुछ दो या ना दो,
हर घर मै एक प्यारी सी बेटी जरुर देना।