Story Of The Day

Archivers

Story Of The Day 13th, February 2016

जिनवाणी अनुसार ज्ञानार्जन करें “जातिभव्य” जीव किसे कहते है..? इस ब्रह्मांड में ऐसी अनंत आत्मा है कि जिनमेँ मोक्ष जाने की योग्यता है, भव्यता है । पर वो आत्मा कभी भी निगोद में से निकलकर व्यवहार राशि में आने वाली ही नहीं है । भले ही कितना भी वक़्त गुजर जाए पर उस आत्मा की नियति ही ऐसी है कि…

Read More
Story Of The Day 13th, February 2016

पर निन्दा नहीं, स्व-निन्दा करो हे अबोध, निन्दा-रसिक बनो, तो वह रसिकता स्वयं की आत्मा के प्रति ही धारण करो । स्वयं में जो-जो दोष हों, उन-उन दोषों की अहर्निश निन्दा करो और उन दोषों को दूर करने के लिए प्रयत्नशील बनो । इस जगत में आत्म-निन्दा में मस्त रहने वाली आत्माओं की संख्या बहुत ही कम है, जबकि परनिन्दा…

Read More
Story Of The Day 12th, February 2016

आओं ! जिन-गुरु वाणी का अमृत पान करें 1. पर में सुखबुद्धि, हित अहित सोचने ही नहीं देतीं । 2.उपेक्षा से सुनोगे ? तो उपेक्षित ही रहोंगे । 3. तत्व अभ्यास बिना मोह गलाने का कोई दूसरा उपाय, जैन शासन मे तो नहीं है । 4. मोह मे कष्ट न लगना, उसको पुष्ट ही करना है । 5. वीतरागी ही…

Read More
Story Of The Day 12th, February 2016

लालच और वैराग्य भतृहरि जंगल में बैठे साधना में लीन थे अचानक उनका ध्यान भंग हुआ । आंख खुली तो देखा- जमीन पर पड़ा एक हीरा सूर्य की रोशनी को भी फीकी कर रहा है । एक समय था जब भतृहरि राजा थे । अनेक हीरे-मोती उनकी हथेलियों से होकर गुजरे थे । लेकिन ऎसा चमकदार हीरा, तो उन्होंने कभी…

Read More
Story Of The Day 12th, February 2016

स्वार्थ के रिश्ते एक बार देवर्षि नारद अपने शिष्य तुम्बरू के साथ कहीं जा रहे थे । गर्मियों के दिन थे । एक प्याऊ से उन्होंने पानी पिया और पीपल के पेड़ की छाया में जा बैठे । इतने में एक कसाई वहाँ से 25-30 बकरों को लेकर गुजरा । उसमें से एक बकरा एक अनाज की दुकान पर चढ़…

Read More

Archivers