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श्रुत पंचमी
श्रुत पंचमी जैन धर्म का प्रमुख त्यौहार है। जैन धर्म के अनुसार इस दिन पहली बार जैन धर्म के ग्रंथ को पढ़ा गया था। मान्यतानुसार पुष्पदंत जी महाराज एवं मुनि श्री भूतबली जी महाराज करीब 2000 वर्ष पूर्व गुजरात के गिरनार पर्वत की गुफाओं में ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी के दिन ही जैन धर्म के प्रथम ग्रन्थ “श्री षटखंडागम” की रचना…
जैन पाठशाला क्यों आवश्यक है ?
निर्णय आप स्वयं ही करे ! पूण्य कर्म का उदय कहो या हमारे से जो बड़े बुजुर्ग है उनका उपकार कहो की आज लगभग सब जगह पर जिनेन्द्र देव के दर्शन सुलभ है सभी क्षेत्र में गांव में जैन मंदिर उपलब्ध है। वो बात और है की ज्यादातर लोग फिर भी नित्य देवदर्शन तक नहीं करते जो नित्य देव दर्शन…
ज्ञान पंचमी से जुडी प्रचलित कथा…
ज्ञान पंचमी से जुडी प्रचलित कथा… भाव एवं क्रिया (कार्य) के द्वारा कर्म-बंधन का अनुपम उदारहण… भरतखंड में अजितसेन राजा का वरदत्त नामक एक पुत्र था, वह राजा का अत्यंत दुलारा था। उसका बोध (ज्ञान) नहीं बढ़ पाया, अच्छे कलाविदों एवं ज्ञानियों आदि के पास रखने पर वह ज्ञानवान नहीं बन सका। उसकी यह स्थिति देखकर राजा बहुत खिन्न रहता…
चाहे वो इज्जत, सम्मान हो, या फिर धोखा…!
गाँव में एक किसान रहता था जो दूध से दही और मक्खन बनाकर बेचने का काम करता था.. एक दिन बीवी ने उसे मक्खन तैयार करके दिया वो उसे बेचने के लिए अपने गाँव से शहर की तरफ रवाना हुवा.. वो मक्खन गोल पेढ़ो की शकल मे बना हुआ था और हर पेढ़े का वज़न एक kg था.. शहर मे…
आत्मा के बारे में जानकारी
संसार में दो मुख्य द्रव्य हैं – जीव और पुद्गल | जीव अनंत हैं, पुद्गल अनंतानंत हैं | अनादि काल से जीव के साथ द्रव्यकर्म का संयोग पाया जाता है और उस द्रव्यकर्म के उदय से आत्मा के साथ शरीर का और उससे सम्बंधित अन्य चेतन व् अचेतन पदार्थों का सम्बन्ध होता है| यह जीव ( मैं ) स्वयं को…