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प्रभावक सूरिजी – भाग 13
पांचाल कवि का मकान जिस राजमार्ग पर था…….. उस मार्ग पर श्मशान-यात्रा का आगमन हो रहा था। “जय जय नंदा….. जय जय भद्दा” के नाद से आकाश मंडल गूंज रहा था। गवाक्ष में बैठे पांचाल कवि ने दूर से आ रही उस श्मशान यात्रा को देखा…… वह तुरंत नीचे आ गया। उसने किसी व्यक्ति से पूछा, “यह श्मशान-यात्रा किसकी निकल…
प्रभावक सूरिजी – भाग 12
कुछ शिष्य ने संभलकर वैद्य को बुलाया। थोड़ी ही देर में वैद्य आकर उपस्थित हो गए……… देखते ही देखते आसपास के श्रावक भी आ गए। वैद्य आचार्यश्री की नाड़ी देखी/परखी और दुखी ह्रदय से बोला, “आचार्यश्री का स्वर्गवास हो चुका है।” अरे! क्रूर काल ने हमारा सर्वस्व छीन लिया। आचार्यश्री की मृत्यु के समाचार चारों और हवा की भांति फैलने…
प्रभावक सूरिजी – भाग 11
सभी श्रावकों ने कहा, “गुरुदेव! इस कलंक निवारण के लिए हम अपना सर्वस्व त्याग करने के लिए तैयार है।” गुरुदेव ने कहा, “तो सुनो मेरी बात! यहा से में थोड़ी देर बाद अपने आसन पर चला जाऊंगा, वहां जाकर अपने प्राणों को ब्रह्मरंध्र में स्थापित कर दूंगा। मेरा शरीर निश्चेष्ठ हो जाएगा। आप मुझे मृत घोषित कर देना। तत्पश्चात आप…
प्रभावक सूरिजी – भाग 10
राजन्! यही आप भूल कर रहे हैं। जब आत्मप्रसिद्धि की आकांक्षा अत्यंत बढ़ जाती है, तब व्यक्ति अन्य की कृति पर भी अपना स्वामित्व कर लेता है और इस प्रकार माया कर अपनी प्रसिद्धि फैलाता है। आपको पता नहीं है, “तरंगलोला” के कर्ता तो हमारे विद्वान पूर्वज ही है। “कविराज! क्या ऐसी बात है? क्या इस बात का कोई प्रमाण…
प्रभावक सूरिजी – भाग 9
आचार्य भगवंत की तेजस्वी प्रतिभा के दर्शन हेतु दूर-दूर से प्रजा उमड़ रही थी। नगर में स्थान स्थान पर तोरण बांधे हुए थे। स्वागत यात्रा आगे बढ़ रही थी। आचार्य भगवंत कि इस भव्य स्वागत यात्रा आगे बढ़ रही थी। आचार्य भगवंत की इस भव्य यात्रा को देखकर एक पांचाल कवि का ह्रदय ईर्ष्या की आग से जल उठा। थोड़ी…