मंत्रीश्वर का मस्तक देह से अलग होकर नीचे गिर पड़ा। चारो और खून खून हो गया।
एक अंगरक्षक पुत्र के द्वारा अपने ही पिता मंत्री की हत्या के दृश्य को देखकर राजा के आश्चर्य का पार न रहा।
राजा ने पूछ ही लिया, ‘ श्रीयक! तूने यह क्या कर डाला’?
श्रीयक ने कहा, राजन! जो मेरे स्वामी का द्रोही हो वह मेरे लिए हंतव्य है; वह चाहे मेरा पिता भी क्यों न हो!’
श्रीयक के दिल में राज्य के प्रति रही वफादारी को जानकर राजा के आश्चर्य का पार न रहा!
राजा ने मन ही मन सोचा, श्रीयक ने अपने प्राण प्यारे पिता की भी हत्या कर डाली ……. अवश्य ही इस घटना के पीछे कोई भेद होना चाहिये।
राजा ने आग्रह करके श्रीयक को पूछा, श्रीयक! मेरे प्रति तूं पूर्ण वफादार है, इस बात में लाश भी संदेह नही है, परन्तु पिता की हत्या के पीछे कुछ रहस्य अवश्य होना चाहिये।
राजा की इस बात को सुनकर श्रीयक ने अवसर देखकर सत्य का घटस्फोट करते हुए कहा, राजन्! मेरे पिता जीवन पर्यंत आपके प्रति पूर्ण समर्पित और वफादार रहे है, और आपके दिल में भी उनके लिए पूर्ण प्रेम और आदर भाव था…….. परन्तु पिछले दो दिनों से उन्होंने यह अनुभव किया कि आपके दिल में उनके प्रति रहा विश्वास उठ गया है, आपके ह्रदय में रहा प्रेम का झरना सुख गया है। बस , इस घटना से वे समझ गए की अवश्य ही किसी विद्वेषी ने आकर आपके कान फूंक लिए है। सत्य असत्य की परीक्षा करने के बजाय आप तत्काल की संपूर्ण कुल क्षय के लिए आदेश न कर दे, इसके पूर्व ही उन्होंने मुझे आज्ञा कर दी की अपने कुलक्षय को बचाने के लिए मैं स्वयं विष का भक्षण कर दूंगा……… और तुम राजसभा में ही मेरा मस्तक उड़ा देना।
श्रीयक की इस बात को सुनकर राजा एकदम चौक उठा।
‘राजा ने कहा, श्रीयक! क्या तेरे घर पर शस्त्रों का निर्माण हो रहा था?’
‘हाँ! जी!’
‘किसके लिए?’
निकट भविष्य में ही मेरा लग्न प्रसंग आ रहा था, और उस प्रसंग पर मेरे पिताजी आपको शस्त्रों की भेंट देना चाहते थे , इसीलिए नवीन शस्त्रो का निर्माण कार्य चल रहा था।
श्रीयक की इस बात को सुनकर राजा तो अवाक् रह गया। वह एकदम शोकसागर में डूब गया। उसे अपनी भूल समझ में आ गई।
राजा ने सोचा, अहो! मेरे हाथों से एक गम्भीर भूल हो गई है। राष्ट्र के प्रति पूर्ण वफादार मंत्री की हत्या हो गई।
राजा के पश्चाताप का पार न रहा। उसने तत्काल उस दुष्ट वररुचि ब्राह्मण को देश निकाल की सजा कर दी ।
तत्पश्चात राजा ने अत्यंत ही आदर सम्मान के साथ शकटाल मंत्री का अग्नि संस्कार कराया।