Archivers

ब्रम्हचर्य सम्राट स्थूलभद्र स्वामी – भाग 23

एक समय की बात है।
यक्षा आदि सभी सातो साध्वी अपने भाई मुनि स्थूलभद्र को वंदन करने के लिए गुरुदेव के पास आई और पूछा, हमारे भाई मुनि कहा है?
आचार्य भगवंत ने कहा तुम आगे जाओ , वे अशोकवृक्ष के नीचे स्वाध्याय कर रहे है।
वे सातो साध्वी अशोकवृक्ष की और आगे बढ़ी परन्तु वहा पर उन्होंने स्थूलभद्र के बजाय एक सिंह को बैठा देखा।
वे एकदम भयभीत हो गयी और सोचने लगी ,क्या इस सिंह ने हमारे भाई मुनि का भक्षण तो नही कर लिया? वे तत्काल गुरुदेव के पास आई और बोलने लगी ,वहा हमारे भाई मुनि तो नही है, वहा तो एक सिंह बैठा है। क्या उस सिंह ने भाई मुनि का भक्षण तो नही किया है न?
आचार्य भगवंत ने अपने ज्ञान का उपयोग लगाकर कहा, खेद न करों, तुम्हारा भाई विद्यमान है; तुम वापस जाओ, वही पर तुम्हे अपने भाई मुनि मिलेंगे।
गुरुदेव की आज्ञा से वह सातो साध्वियां पुनः अशोकवृक्ष के निकट पहुँची, वहां पर उन्होंने अपने भाई मुनि को देखा, सिंह वहा से गायब था।
वंदन करने के बाद जब साध्वी जी भगवंत ने सिंह के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, यह सिंह का रूप तो मैंने ही किया था।
अब कुछ समय बाद जब स्थूलभद्र महामुनि आचार्य भगवंत के पास वाचना लेने के लिए आए तब उन्होंने कहा, में तुम्हे वाचना नही दूंगा, क्योंकि अब अधिक ज्ञान पाने के लिए तुम योग्य नही हो। तुमने भी यदि सिंह का रूप कर लिया तो फिर दुसरो की तो क्या बात की जाए? अब कालक्रम से विद्या का पाचन कम होता जाएगा। विद्या भी पात्र को ही देने से लाभ का कारण बनती है, आपत्र को दी गई विद्या स्व पर को नुकसान ही पहुँचाती है।
स्थूलभद्र ने गुरुदेव के चरणों में गिरकर क्षमा याचना की।। फिर भी गुरुदेव ने वाचना देने से इंकार कर दिया।
तत्पश्चात संघ के अति आग्रह से भद्रबाहु स्वामी म. ने शेष चार पुर्वो का ज्ञान, मात्र सूत्र से प्रदान किया किन्तु उसका अर्थ नही बतलाया।
इस प्रकार मूलमूत्र की अपेक्षा स्थूलभद्र महामुनि चौदह पूर्वधर हुए।
उसके बाद पृथ्वी तल पर विचरण कर स्थूलभद्र महामुनि ने अनेक भव्यजीवो को प्रतिबोध दिया अंत में अत्यंत ही समाधिपूर्वक कालधर्म को प्राप्त के प्रथम देवलोक में उत्पन्न हुए।
काम के घर में रहकर काम का नाश करनेवाले स्थूलभद्र महामुनि का नाम 84-84 चौबीसी तक अमर रहेगा।
ऐसे महान ब्रह्मचर्य सम्राट के चरणों में वन्दना!!!!

ब्रम्हचर्य सम्राट स्थूलभद्र स्वामी – भाग 22
May 9, 2018
आर्यमहागिरी- आर्य सुहस्ति सूरी – भाग 1
May 25, 2018

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Archivers