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कथा योशोदा कि व्यथा नारी की भाग 8

माँ ! तुझे एक बहुत अच्छा उपाय बताती हूँ- बापूजी तो चौबीस वे तीर्थंकर बनने वाले है ना ? मैंने यह बात बराबर सुनी है। और वे साधु-साध्वी – श्रावक -श्राविका इस तरह के चतुर्विध संध की स्थापना करेंगे। यह सभी बांते मैंने दादाजी के पास से सुनी थी। उन्होंने मुझे जिनशासन की बहुत सी बांते समज़ाई थी। दादी भी भगवान पार्श्वनाथ के श्राविका ही थे ना ? तो माँ ! जभी बापुजी चतुर्विध संध की स्थापना करेंगे तभी मैं बापुजी के पास जाकर कहूँगी के :” बापुजी ! मुझे भी ओघा दीजिये, मुझे साध्वी बनाइए।

मैं आपकी सेवा करुँगी। आपके साथ ही रहूंगी। माँ तू भी मेरे साथ आना। हम दोनों बापुजी के हाथ से ओगा लेकर फिर हम तीनों सारी जिंदगी साथ रहेंगे। बोल माँ ! कितना अच्छा उपाय है ना। अभी तो केवल बापुजी की साधना पूरी हो उतनी ही राह देखनी है।”

यशोदा प्रियदर्शनाकी काली काली भाषा पर अत्यांदित हो गई। “कैसा प्रचंड पुण्य। पति मिला त्रण जगत का भरथार । और लड़की मिली अत्यंत अच्छी बुद्धिमति।”यशोदा विचार करती रही।

यशोदा : ” पगली ! क्या दादी ने तुझे यह बात नहीं कि के तीर्थंकर साध्वी संघ को स्थापते तो है , परंतु साध्वीजीयाँ तीर्थंकर के कदापि रह नहीं सकते ? वे सिर्फ देशना सुनने के लिए ही आ सकते है। बाकी उन्हें अलग ही रहना पड़ता। हम साध्वी बने या संसार में रहे, उससे किसी भी तरह का फर्क तेरे बापुजी के साथ के संबंध में होनेवाला नहीं है।

प्रियदर्शना : “परंतु माँ ! बापुजी वीतराग बन जाए फिर तो भले न हम उनके साथ रहे । उसमे क्या दिक्कत है ?

यशोदा : ” नहीं प्रिया ! तीर्थंकर को भी आचार तो पालना ही पड़ता है। यह बात तुझे समझमे नहीं आएगी। तू बड़ी हो जाएगी फिर खुद से ही तुझे सबकुछ पता चल जाएगा । चल ! अभी बहुत देर हो गई है। तू सो जा।”

यशोदा ने प्रियदर्शना को शयनखंड की शय्या पर सुला दिया। बाजु मेँ ही वह खुद भी बैठकर प्रियदर्शनाके मस्तक पर हाथ फिरने लगी।उसे शादी कि पहली रात याद आ गई। ” वर्धमान जल्दी सुबह को मेरे मस्तक पर इस ही तरीके से स्नेहपूर्ण हाथ प्रसार रहे थे। आज मैं प्रिया पर हाथ फिरा रही हूँ। दोनों में कुछ भी अंतर नहीं है। दोनों में निर्दोष स्नेह बह रहा है।”

यशोदाके आँखों से फिर से अश्रु तर आए। प्रियदर्शना माँ के मुख के सामने देखती रही। दीपकके प्रकाश में मोतीकी तरह शोभते हुए वे अश्रुबिंदु प्रियदर्शना को स्पस्ट दिखाई दिए।

प्रियदर्शना : ” माँ ! बापुजी की याद आ रही है ना?

आगे कल की पोस्ट मे पडे..

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January 4, 2017
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