मातृवत्सल प्रिया बोल उठी,” ओ माँ ! तू थोड़ी भी चिंता मत करना ! मैं तुझे छोड़कर कहीं पे भी नहीं जाउंगी ! हमेशा के लिए तेरे साथ रहूंगी माँ ! मैं शादी नहीं करुँगी ! यह बात तू समझ के ही रखना की आज से मैं तेरी लड़की नहीं ,तेरा राजकुमार लड़का हु हूँ ! तू निश्चित हो जाना ! भले बापुजी चले गए ! मेरी माँ को रुलानेवाले उस बापुजी की मेरे मन में कोई किंमत नहीं है ! माँ ! तुझे मेरी कसम है यदि तू रोइ तो !” यशोदा ने प्रिया को सीने से लगा लिया !जभी वर्धमान दीक्षा लेंगे तभी बरसाने के लिए इकट्ठे किए आंसु आज ही धोधमार बनकर बरसने लगे।
यशोदा बोली :” प्रिया । तू तो पूरी पागल है । क्या कभी भी लड़की हमेशा , माँ के पास रहती है ? उसे तो पीयर छोड़कर ससुराल ही जाना होता है। तू मेरी चिंता मत करना।यह तेरे शब्द ही मुझे जीवनभर आश्वासन देनेवाले बने रहेंगें। जब भी तुझे याद करुँगी तभी तेरे साथ मीठे मधुरे शब्द भी मेरे स्मृतिपट पर आएँगे।”
प्रियदर्शना :” माँ ! भले मैं तेरे पास हमेशा के लिए नही रह पाउ, परंतु मैं शादी तो नहीं ही करुँगी। माँ ! तूने भी मेरे पिताजी के साथ शादी की और आज वे तुझे निराधार छोड़कर चले जानेवाले है। यंहा होने के बावजूद भी तुझे मिलने नहीं आते। वह तेरे आंसु , तेरे मुख पर रही हुई उदासीनता देखकर मेरा मन द्रवित हो जाता है। माँ ! मुझे भी मेरे बापुजी जैसा ही पति मिला तो ? बापुजी ने तुझे तरछोड़ा , वैसे मेरा स्वामी भी मुझे छोड़ देगा तो ? तु ऐसा इच्छती है कि मैं भी तेरे जैसे बहुत रोऊं ? बहुत दुःखी बनूं? निराधार हो जाऊ ? यदि ना ? तो माँ ! मुझे कोई राजकुमार से शादी मत करवाना।
उसके अलावा माँ ! तुझे एक बहुत अच्छा उपाय बताती हूँ…
आगे कल की पोस्ट मे पडे..