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कथा योशोदा कि व्यथा नारी की भाग 5

यशोदा : ” प्रिया ! अभी वे हमें मिलने कभी नहीं आएगे ! कभी भी नहीं आएंगे !” बोलते बोलते यशोदा का ह्रदय भारी हो गया ! वाणी गदगद बन गई ! आंखों में अश्रु का जल तरने लगा !

प्रियदर्शना माता को रोते हुए देखती रही ! इस तरह माता को रोते हुए उसने पहली बार देखा था ! उसे भी माँ के प्रति अतिशय लगाव था ही ! परतुं कोई कारणानुसार आज उसके मन में अलग ही विचारधारा चली ! इसलिए माँ के रुदन के साथ रोने के बदले आघातजनक शब्दों का उच्चारण वह कर बैठी ! ” माँ एक बात पूंछू ? तू मेरे से कुछ भी बात छुपाएगी नहीं ना ? क्या तूने कोई गंभीर भूल की है ? बापुजी को अच्छा ना लगे वैसा कुछ किया है ? उसके अलावा मेरे बापुजी हमको छोड़कर क्यों चले गए ? मैं उन्हें जानती हूँ ! छोटी छोटी सी भूलों में तो वे कभी भी गुस्सा होते ही नहीं ! तो फिर वो हमे छोड़नेका निर्णय क्यों करे ? नक्की तूने ही उन्हें दुःखी किया होगा !”

यशोदा के माथे पर बिजली-सी गिर गई ! उसे खुदकी पुण्यहीनता स्पष्ट दिखने लगी ! बरसो से जिस लड़की के लिए उसने बहुत भोग दिया , दिन रात मम्मी और पापा दोनों का वात्सल्य बरसाया , उसे कभी भी किसीभी चीज की कमी महसूस होने नहीं दी, वह प्रियदर्शना आज उस पर ही आक्षेप कर राही थी !

और जिस पिताने लड़की के पीछे थोड़ा भी समय नहीं दिया था , केवल जगतको दिखने के लिए लड़की को खिलाया था , आज वह लड़की वैसे पिताका पक्ष ले रही थी !

यशोदा का ह्रदय कम्प उठा ! यदि प्रिया के मन में यह विचार दृढ़ होगा तो वह मुझे धिक्कारने लगेगी ! मैं हमेशा के लिए प्रिया को भी खो दुंगी ! ऐसा विचार कर यशोदा ने प्रत्युत्तर दिया !

यशोदा : ” प्रिया ! क्या मैंने कभी भी तेरे बापुजी की बात नहीं मानी हो वैसा तूने देखा है ? इतने वर्षों के बाद भी तू तेरी माँ को पहचान नहीं सकी ? और प्रिया ! शायद मैंने कोई बड़ा अपराध किया हो तो तेरे बापुजी मुझे छोड़ दे ! परंतु प्रिया ! तूने तो कोई अपराध नहीं किया है ना ? तो तुझे क्यों नहीं मिलने आते ? तू तो जानती ही है की तेरे बापुजी बहुत ही करुणाशाली है ! वे किसीको भी स्वयं दुःख तो दे सकते ही नहीं ,परंतु किसी के दुःखो को देख भी सकते नहीं ! राजकुलके सभी दास – दासी को मैं डांट देती तो भी तेरे बापुजी दुःखी हो जाते ! वे मुझे कहते कि ‘ महेरबानी करके भी किसी को कटु वचन बोलना नहीं ! मेरे से वह देखा नहीं जाता !’ ऐसे तेरे बापुजी तुझ पर भी करुणा ना करे ? तुझे भी मिलने नहीं आवे ? परंतु कोई दिक्कत नहीं है प्रिया ! मेरा पुण्य ही कम है कि तुझे मेरी गलती दिख रही है ! हाँ ! मेरी गलती इसलिए ही क्योंकि मैं एक स्त्री हूँ ! उनकी पत्नी हूँ ! यदि मैं उनका छोटा भाई होता तो एक पल भी उनकी परछाई छोड़ता नहीं “!

आगे कल की पोस्ट मे पडे..

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