अग्नि बेचारा घबराहट के मारे रो रो कर जार जार हुआ जा रहा है…। पर राजकुमार खुश होकर झूम रहा है । उसके साथी तालियां पीट रहे हैं , वह जहरीमल घोड़े पर सवार होकर घोषणा कर रहे है… ‘चलो , सब नगर के बाहर। नगर के बाहर कुएँ पर सभी को एक खेल दिखाया जाएगा। वह भी मुफ्त में। गधे पर बिराजमान महाराजा अग्निशर्मा को कुएँ में उतारा जाएगा… और बाहर निकाला जाएगा ।’
मुहल्ले के युवानों ने, सोमदेवा और यज्ञदत्त के प्रति अपनी हार्दिक सहानुभूति जताते हुए बात की । एक युवान का खून गरम हो उठा :
‘आज मेरा खून खोल उठा है…। मन करता है….सराजमार्ग पर जाकर उस जहरीमल की टांग खींचकर घोड़े पर से नीचे पटक दूं… उसके सीने पर पैर रखकर उसका गला…’
‘नहीं भाई नहीं… इसका परिणाम क्या आएगा , सोचा है ? राजकुमार और उसके दोस्त तुझे जिन्दा नहीं छोड़ेंगे । उसी वक़्त तलवार का वार करने में उन्हें क्या देर लगनेवाली है ? नहीं… हमें ऐसा कुछ भी नहीं करना है ।’
‘तब क्या करना है ? रोजाना अग्नि की इस तरह कदर्थना होने देना? राजकुमार को रोकने का कुछ उपाय ही नहीं है? बस देखते ही रहना? यह तो निरा अन्याय है ।’ युवान ने जोशीली आवाज में कहा । उसकी ऊँची आवाज सुनकर मुहल्ले के दस – बारह युवान वहाँ आ पहुँचे। युवानों का आक्रोश बढ़ता गया। मुहल्ले के कुछ बड़े बूढ़े भी वहाँ पर एकत्र हो गये ।
एक वुद्ध ने कहा :
‘पुरोहित के साथ हमारे मुहल्ले के अग्रणियों को मिलकर महाराजा के पास जाना चाहिए। महाराजा के समक्ष सारी परिस्थिति रखनी चाहिए ।’
एक युवान ने कहा : ‘केवल मुहल्ले के अग्रणी ही क्यों ? नगर के अग्रणी महाजन को भी साथ ले जाना चाहिए। महाजन भी सख्त नफरत करते है… इस चंडाल चौकड़ी की क्रूरता से ।’
दूसरे वुद्ध ने अपना मत कहा : ‘महाराजा के पास जानेवालों को एक बात भलीभांति समझ लेनी चाहिए… कि फिर जीवनभर तक राजकुमार और उसके मित्रों के साथ दुश्मनी होने की । कभी वे मौत की गोद में भी सुला दे…। भविष्य का पूरा विचार करके ही हर कार्य करना चाहिए ।’
एक प्रौढ़ व्यक्त्ति ने कहा :
‘भाई , इन दादा ने भविष्य का विचार करने का कहा है , यह कार्य आग के साथ खेल करने का है… यह बात भी सही है… पर यदि राजकुमार और उसके मित्रों को ऐसी अधम क्रूरता से रोका नहीं गया तो यह सब कहां पर जाकर रुकेगी ? आज अग्निशर्मा की बारी है…कल और किसी का शिकार होगा । एक खिलौने से जी भरेगा…तो दूसरा खिलौना खोजने में उन्हें देर कहां ? तब क्या करोगे ? यह भी तो सोचना होगा न ।’
मौन छा गया ।
आगे अगली पोस्ट मे…