Archivers

शिवकुमार – भाग 5

गई थीं। जब साध्वीजी ने कहा :’आज भी ऐसे दिव्य प्रभाव देखने को मिलने हे -यह सुनकर सुरसुन्दरी ने पूछा :’क्या आप के जीवन में आपने कोई इसा प्रभाव देखा हे ?अनुभव किया ?हे मुझे लगता हे की आपको जरूर कोई दिव्य अनुभव हुआ ही होगा। यदि मुझे कहने में …
‘कोई एतराज नहीं हे… सुन्दरी तुझे कहने में ।’सुन, एक अनुभव की बात तुझे बताता हूँ :
दो साल पहले हम मगध प्रान्त में विचरण कर रहे थे ।सवेरे का समय था। हम साथ साथ ही पद यात्रा कर रही थी। रास्ता पहाड़ी था , विकट भी था फिर एक पीछे एक….हम चलते हुए रास्ता काट रही थी ।इतने में अचानक ही शेर की दहाड़ सुनाई दी। हम सभी आर्याए खड़ी रह गई । हमारे सामने की ही पहाड़ी पर हमने एक खुंखार शेर को देखा ।मेने सभी साध्वियो से कहा: बेठ जाओ नीचे…. आँखे मुंद कर श्री नमस्कार महामन्त्र का स्मरण करो ।’
में स्वयं भी बैठ गई ।श्री नमस्कार महामंत्र के ध्यान में लीनता आने लगी। जब आँखे खोली तो दूर दूर चले जाते शेर को मेने देखा ।मेने साध्वीजीयो से कहा :’आँखे खोलो, खड़े होओ ….और उस जाते हुए शेर को देखो।’
‘अदभुत…. वाक़ई अदभुत’ सुरसुन्दरी उठी ।उसने कहा:
ऐसा कोई दूसरा अनुभव ?बस ,फिर ज्यादा नहीं पुछुगी …..दूसरा अनुभव सुनकर चल दूँगी ….फिर आपका समय नहीं लुगी।’
साध्वीजी के चेहरे का स्मित तेरे आया। राजकुमारी के भोलेपैन पर उनका वात्सल्य छलके पड़ा ।
‘सुन्दरी ,तुझे दूसरा अनुभव सुनना हे न? सुन ,एक समय की बात हे ।हम मात्र चार साध्वीजी ही एक गाँव से विहार करके दूसरे गाँव की और जारही थी। रास्ता भूल गयी भटक गयी। सूरज डूब गया …रात घिरने लगी …भयानक जंगल था ….अब तो रात जंगल में ही गुजरना पड़े वेसी परिस्थीती पेदा हो गईं ।इधर उधर निगाह डाली तो एक झोपडी नजर आई ।हम गये उस झोपड़ी के पास… खाली थी झोपडी ।पर न तो कोई दरवाजा था… न खिड़की थी ।मात्र छप्पर था। हमने वही पर विश्राम करना तय किया। आवश्यक क्रियाए करके हम बेठी ।’
‘आपको डर नहीं लगा ?’सुरसुन्दरी ने बिच में ही सवाल किया।
‘ डर ?दूसरे जीवो को अभय देने वाले का भय केसा? डर केसा ?और फिर हमारे ह्रदय में तो महामंत्र नवकार था… फिर डर किस बात का ?प्रबलता ऐसी सुनसान जगह पर हमें सोना नहीं था ।हम सारी रात जागते रहे और महामंत्र का स्मरण करते रहे।
मध्य रात्रि का समय हुआ ….और आठ दस आदमी बाते करते करते हमारे हमारे झोपड़े की तरफ आते दिखे ।उनको देखा तो वे डाकु जेसे लग रहे थे ।हम सभी श्री नवकार महामंत्र के ध्यान से लीन हो गयी ।डाकु हमारी झोपडी के निकट आ गये थे ।हमारे शवेत वस्त्र देखकर एक डाकू बोला:

आगे का अगली पोस्ट में…

शिवकुमार – भाग 4
April 26, 2017
शिवकुमार – भाग 6
April 26, 2017

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Archivers