एक दिन नगर के बाहर शिवकुमार भटक रहा था, तब अचानक उसके सामने एक अधोरि बाबा आकर खड़ा रह गया ।अधोरि ने शिवकुमार से कहा:
‘ तु गरीब हो गया लगता हे?’ ‘हा …’
‘बोल, पेसा चाहिए। ?’
‘हा, क्यों नहीं?’
‘मेरा एक काम यदि तु करेगा तो तुझे ढेर सारा सोना मिलेगा ।’
जरूर …आप कहोगे वेसे करूँगा… कहिये क्या करना हे मुझे ?’शिवकुमार लेट गया अधोरि के चरणों में !’
‘तो चल, मेरे साथ !’ अधोरि शिवकुमार को लेकर पंहुचा शमशान में।
काली चौदस की डरावनी रात सर पर थी। शिवकुमार वेसे तो काफी निडर था पर श्मशान का वातावरण उस में भय और शंका से कंपकंपी पेदा कर रहा था ।अधोरि एक मृत देह को उठा लाया ।
‘तु इस मुर्दे के पेरो के तलवे मसलते रहना।घबराना मत। में थोडा दुर बैठकर मंत्र का जाप करुगा ।तु यहाँ से खड़ा मत होना ।यदि खड़ा हो गया तो यह मुर्दा जिन्दा होकर तुझे मार डालेगा, और यदि बिना घबराये बेठा रहेगा तो तुझे में मालामाल कर दुंगा।’
अधोरि ने शिवकुमार को साबध करते हुए मुर्दे के हाथ में कटोरी रखी और खुद मंत्र जपने लगा ,थोड़ी दुरी पर बैठकर।
शिवकुमार सोचने लगा ।लगता हे यह अधोरि मुझे मार डालने का पेतरा रच रहा हैं। मुझे मारकर ही उसकी मंत्रसिद्धि होगी शायद। मुझे यहाँ आना ही नहीं चाहिए था ।यह कोई मेरा रिश्तेदार थोड़ी हैं जो मुझे यू मुक्त में ही सोना दे दे ?मुझे यहाँ से यहाँ से भाग जाना चाहिए । पर भागु भी कैसे ?अघोरी भागता देख ले तो वो मुझे जिन्दा नहीं छोड़ेगा! हाय …मैं कहा यहाँ फस गया? अब क्या होगा? मेरे किये पाप आज मुझे मार कर ही रहेगे ।ओह! मेरे इस जनम के पाप इसी जनम में उदय आगये ।उसे अपने पिता की याद आने लगी ।इसी के साथ पिता की दी हुई अंतिम सलाह उसके दिमाग मे आई ।बेटा जब भी संकट में फस जाये तब नमस्कार मंत्र का स्मरण करना ।
शिवकुमार ने मृत देह को पर रखा और खुद पदमासन लगाकर एकाग्र मन से श्री नवकार मंत्र का स्मरण करने लगा ।
इधर अघोरी की मंत्र साधना के कारण मृतदेह में वेताल का प्रवेश होता हैं और मुर्दा हिलने लगता हैं खड़ा होने जाता हे और गिर जाता हैं तीन -तीन बार मुर्दे ने खड़े होने का प्रयत्न किया पर वापस गिर जाता हे।
वेताल जो की मुर्दे के शारीर में प्रविष्ट था उसको शिवकुमार का घात करने का प्रयत्न किया पर शिवकुमार तो नमस्कार महामंत्र के ध्यान में लीन था नमस्कार के अचिंत्य प्रभाव से वेताल को सफलता नहीं मिल पा रही थी। शिवकुमार के मस्तिष्क के चारो तरफ दिव्य आभामंडल रच गया नमस्कार महामंत्र के अधिष्टायक देवो ने शिवकुमार के इर्द गिर्द रक्षा कवच खड़ा कर दिया था।
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