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किसी का मजा, किसी को सजा – भाग 5
यह तो रोजाना की पीड़ा है…न सह सकते हैं, न किसी से कह सकते हैं ।’ ‘कुछ भी उपाय सूझ नहीं रहा है…। किस तरह बेटे को इस तरह की यातना से बचाया जा सके ?’ आंसुभरी आंखों से यज्ञदत्त ने आकाश की ओर देखते हुए कहा । ‘खुद राजकुमार प्रजा को पीड़ित करें…फिर भी राजा उसे रोक नहीं सकता…
किसी का मजा, किसी को सजा – भाग 4
‘महानुभाव , बस , बहुत हो चुका । अब रहने दो , उस बच्चे पर दया करो… उसे मत सताओ… उसे उत्पीड़ित मत करो ।’ यज्ञदत्त ने नम्र शब्दों में बिनती की। ‘यह सब भाषण महाराजकुमार के सामने देना , पुरोहित । मुझे तो अग्निशर्मा चाहिए । कहां है वह खिलौना ? चल , जल्दी मुझे सौंप दे उसे ।’…
किसी का मजा, किसी को सजा – भाग 3
‘तुझे रोकने की गुस्ताखी कौन करेगा ? ताकत है किसी की ?’ शत्रुध्न ने कुष्णकांत की चापलूसी करते हुए कहा । चारों मित्र खिलखिलाकर हंस पड़े । गुणसेन ने कहा : ‘देख शत्रुध्न । कल जब जुलूस निकले … तब तुझे देर तक जोर जोर से ढोल पीटना होगा । और भी ढोल- कांसे बजानेवालों को बुला लाना…। और जहरीमल,…
किसी का मजा, किसी को सजा – भाग 2
अग्निशर्मा का कुरूप शरीर राजकुमार के लिये खिलौना बन गया था । राजकुमार और उसके चापलूस दोस्त अग्निशर्मा पर जोर-जुल्म कर के कुर मजा लेते थे । अग्निशर्मा के माता-पिता राजपरिवार के समक्ष लाचार थे , असहाय थे । अपने कोंखजाये की क्रूरतापूर्ण कदर्थना होती देखकर उनकी आंखें खून के आंसू बहाती थी। उनका दिल भारी वेदना से टुकड़े टुकड़े…
किसी का मजा, किसी को सजा – भाग 1
‘कल बड़ा मजा आया , नहीं ?’ ‘अरे… बात ही मत पूछो… वाकई मजा आ गया था।’ ‘ओह, मेरा तो हंसने के मारे बुरा हाल था ।’ ‘सचमुच, ऐसा जुलूस तो हमारे नगर में पहली बार ही निकला होगा ।’ ‘कुमार , तुम भी क्या एक एक तरकीब खोज निकलते हो मौज मनाने की । जवाब नहीं तुम्हारा ।’ ‘पर……