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सभी का मिलन शाश्वत में – भाग 3
केवलज्ञानी मुनिराज ने संसार को यथातथा का स्वरूप दर्शन करवाया । आत्मा की स्वभावदशा का वर्णन किया, मोक्षमार्ग का ज्ञान दिया । अक्षयकुमार ने अपने पिता मुनिराज को सुवर्ण-कमल पर आरूढ़ हुए देखे… उनकी अमृत वाणी सुनी । उसे परम् आहलाद प्राप्त हुआ । उसका मन तृप्त बन गया। गुणमंजरी ने देशना पूर्ण होने के पश्चात खड़े होकर विनंती की…
सभी का मिलन शाश्वत में – भाग 2
अमर मुनीन्द्र और साध्वी सुरसुन्दरी शुद्ध चित से संयम का पालन करते है, जिनाज्ञा का पालन करते है… गुरुदेव का विनय करते है । ज्ञान-ध्यान में रहते है… संयम योगों की आराधना में अप्रमत्त रहते है । समता की सरिता में निरंतर स्नान करते है…. धैर्यरूप पिता और क्षमारूप मा की छत्रछाया में रहते है । विरतिरुप जीवनसाथी के साथ…
सभी का मिलन शाश्वत में – भाग 1
रत्नजटी ने गुणमंजरी को कीमती वस्त्रालंकार भेंट किये । अक्षयकुमार के लिए भी अनेक सुंदर वस्रालंकार और खिलौने दिये । सभी की अश्रुपूरित विदा लेकर वह अपनी रानियों के साथ अपने नगर में चला गया । महाराजा गुणपाल ने बेनातट नगर जाने के लिये धनावह श्रेष्ठी की इजाजत मांगी । वे बेनातट नगर चले गये । धनवती अपने ह्रदय पर…