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चोर, जो था मन का मोर – भाग 1

चोर, जो था मन का मोर दूसरे दिन सवेरे आवश्यक कार्यो से निपटकर विमलयश ने सुन्दर वस्त्र अलंकार धारण किये । सर पर मुगट रखा…. कानो में कुंडल पहने । अपने महल के मंत्रणाग्रह में सिहासन पर बैठा और अपने आदमी को भेजकर अमरकुमार को अपने पास बुलाया । अमरकुमार ने आकर, सर जुकाकर प्रणाम किया । वह सर जुकाकर…

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