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सुर और स्वर का सुभग मिलन – भाग 2
शादी करने की मना ही कर दूं तो ? तब तो महाराजा स्वयं मेरे जीवन की किताब की छानबीन करना चाहेंगे कि ‘यह विमलयश शादी करने से इनकार क्यो कर रहा है ? और गुणमंजरी तो मेरे अलावा अन्य किसी के साथ शादी करेगी ही नही ! विमलयश की स्मृतिसीप में चोर की गुफा में सुने हुए गुणमंजरी के शब्द…
सुर और स्वर का सुभग मिलन – भाग 1
मालती ने विमलयश के शयनखंड को नया निखरा हुआ रूप दिया था । नये सिंगार से खंड को सजावट की थी । विमलयश के पलंग के सामने ही एक सुंदर स्वर्णदीप जालाया था । कमल के खिले हुए पुष्प पर एक सुंदर सलोनी आकृतिवाली नारीमूर्ति के हाथ मे अर्धचंद्रकार पाँच प्रदीप रचे हुए थे । पांचो प्रदीपो के सोम्य प्रकाश…