गुणमंजरी अचानक विमलयश को सामने उपस्थित हुआ देखकर हर्षविभोर हो उठी । उसके मुरजाये अधर पर भी मधुर स्मित की कलिया खिल उठी ! उसने विमलयश को नमस्कार किया । उसके चरणों मे गिरती हुई बोल उठी : ‘त्वमेव शरणम मम !’ विमलयश की रोबीली आवाज गुफा में गूंज उठी : ‘रे तस्कर ! तू विद्यावान है… बुद्धिशाली है, इसलिए…