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राजमहल में – भाग 1

बेनातट नगर का समुद्री किनारा यानी पुष्पित प्रफुल्लित प्रकृति की सौंदर्य लीला। उषाकाल में एकान्त प्रकृति की गोद मे समुद्र के किनारे कभी अभिनय सिंगार रचकर अपने प्रियतम की प्रतीक्षा करती हुई सुरसुन्दरी घूम रही थी। अपने मूल रूप में आकर वह दूर दूर उछलते उदघि तरंगों में अमरकुमार के जहाजो का दर्शन करती थी।कभी वो विमलशय का नाम रूप-धारण…

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