अमर की बात जानकर धनवती अत्यन्त व्यथित हो उठी । सुरसुन्दरी ने भी अमर ही के साथ परदेश जाने की जिद्द पकड़ी थी इससे तो धनवती को वेदना दुगुनी हो चुकी थी । चूंकि उसने अमर पर तो ह्रदय का प्यार बरसाया ही था …. सुरसुन्दरी को भी उसने अपने स्नेह से सराबोर कर दिया था । सरल…. निश्छल और…