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कैसा दुर्भाग्य मेरे युवाओ का।

“कैसा दुर्भाग्य मेरे युवाओ का ।
पढते है M.B.B.S और
कलेक्टर क्या होता है यह पता नही।”

अभी अभी गुजरात की ओर आना हुआ। और अहमदाबाद के एक संघ मे एक लडकी मेरे पास आई थी। वह उसकी शिक्षा के बारे मे बाते कर रही थी। मुझे बडा आश्चर्य हुआ कि यह बालिका M.B.B.S की तैयारी कर रही थी।

मेने मनोमन विचारा की वास्तव मे अगर जिनशासन के बच्चे इस तरह का लक्ष्य रखते है तो वास्तव मे हमारा भविष्य उज्जवल है।

मेने उसके अभ्यास के बारे मे पुछा- उसने बताया कि वह पिछले तिन साल से सिर्फ और सिर्फ किताबो मे ही उसका जीवन व्यतीत हुआ। सुबह से रात तक मात्र पढ़ना और पढना ही उसका लक्ष्य था। पर शायद वह इसमे दुसरा सब कुछ भूल गई। वह उसकी शिक्षा मे तो परिपक्व हो गई परन्तु इसके अलावा अन्य श्रेत्रो मे अपरिपक्व बन चुकी थी।

आज कल ऐसी हालत उसकी ही नही हमारे देश के कई युवाओ की है। वह अभ्यास मे तो MBA का करते है और कभी घर मे फ्युज उड जाता है तो वह बदल तक नही पाते है। यह कैसी हालत है? इस MBA से ज्यादा तो बेसिक शिक्षा की जरूरत है।

जीवन चलाने के लिए उच्च शिक्षा से ज्यादा व्यवहारिक ज्ञान की आवश्यकता है। हमारी युवा पीढ़ी को ना ही हमारा इतिहास पता है ना ही भुगोल पता है। वह भारत की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक तीनो नितियो से अनभिज्ञ है।

और इसी अज्ञानता के कारण उस लडकी ने जवाब दे दिया मुझे कि- कलेक्टर यानि क्या? मुझे नही पता है। और जब हमारी युवा ब्रिगेड इन सब बात से अनजान रहेगी तो फिर देश ऐसे युवायो का क्या करेगा? जो हमारे देश के बारे मे नही जानते हो? और दुनिया की बाते करते है।

हमे युवाओ को हमारी संस्कृति, सभ्यता, आर्थिकता, समाजिकता, भौतिकता का सम्पूर्ण अभ्यास करना होगा। क्योंकि जो खुद को जानता है वही विश्व को समझ सकता है।

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